मुस्लिमों के तीन तलाक के साथ ही चर्च से मिला तलाक भी सवालों के घेरे में है|
- एक जनहित याचिका लंबित है जिसमें चर्च से मिले तलाक को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग की गई है।
- याचिका में कहा गया है कि चर्च से मिले तलाक पर सिविल कोर्ट की मुहर लगना जरूरी न हो।
क्या है मामला :
- इसाइयों के धर्म विधान के मुताबिक कैथोलिक चर्च में धार्मिक अदालत में पादरी द्वारा तलाक व अन्य डिक्रियां दी जाती हैं।
- सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से पैरोकारी कर रहे वकील का कहना है कि चर्च द्वारा दिए जाने वाले तलाक की डिक्री के बाद कुछ लोगों ने जब दूसरी शादी कर ली तो उन पर बहुविवाह का मुकदमा दर्ज हो गया।
- ऐसे में सुप्रीम कोर्ट यह घोषित करे कि कैनन लॉ (धर्म विधान) में चर्च द्वारा दी जा रही तलाक की डिक्री मान्य होगी और इस पर सिविल अदालत से तलाक की मुहर जरूरी नहीं है।
सरकार का तर्क
सरकार का तर्क है कि मांग स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि तलाक अधिनियम लागू है और कोर्ट उसे वैधानिक भी ठहरा चुका है