वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक में शुक्रवार को यह अहम फैसला हुआ। इस निर्णय से करीब 60 प्रतिशत व्यापारी व सेवाप्रदाता जीएसटी के दायरे बाहर हो जाएंगे। इससे छोटे कारोबारियों को जीएसटी जमा करने व रिटर्न भरने का झंझट नहीं रहेगा।
- देश में पहली अप्रैल, 2017 से लागू होने जा रहा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सालाना 20 लाख रुपए से कम कारोबार वाले व्यापारियों पर नहीं लगेगा। वहीं, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में 10 लाख रुपए से कम सालाना कारोबार वाले व्यापारी इसके दायरे में नहीं आएंगे।
- केंद्र ने जीएसटी से छूट की सीमा सालाना 25 लाख रुपए का टर्नओवर तय करने का प्रस्ताव किया था। कुछ राज्यों के विरोध के बाद इसे 20 लाख रुपए तय किया गया। राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने यह छूट सीमा 10 लाख रुपए रखने की सिफारिश की थी।
- कर छूट सीमा अधिक रहने से छोटे कारोबारियों को राहत मिलेगी। सरकार की कर वसूलने की प्रक्रिया में लागत भी कम आएगी, क्योंकि 60 फीसद के करीब इन छोटे करदाताओं से दो प्रतिशत राजस्व ही प्राप्त हो रहा है।
=>>कर क्षेत्राधिकार का बंटवारा
- -काउंसिल ने दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय दोहरे नियंत्रण के संबंध में किया है। सालाना 1.5 करोड़ रुपए के कारोबार वाले व्यापारी राज्यों के दायरे में आएंगे। इससे ऊपर वालों पर केंद्र और राज्य दोनों का नियंत्रण होगा।
- डेढ़ करोड़ से कम टर्नओवर वाले सेवा करदाता केंद्र के ही नियंत्रण में रहेंगे। इनकी संख्या करीब 11.5 लाख है।
- राज्यों को अभी सर्विस टैक्स लगाने का अनुभव नहीं है। इसलिए ये करदाता फिलहाल केंद्र के अधीन आएंगे। हालांकि पंजीकृत होने वाले नए सेवा करदाता केंद्र और राज्यों के बीच बांटे जाएंगे।
=>राज्यों को राजस्व की क्षतिपूर्ति
- जीएसटी लागू होने से राज्यों को राजस्व हानि की स्थिति में मुआवजे के भुगतान के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। इस दौरान काउंसिल में साल 2015-16 को आधार वर्ष मानकर राज्यों के राजस्व का अनुमान लगाने पर सहमति बनी।
- जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन में स्पष्ट प्रावधान है कि राजस्व हानि की स्थिति में केंद्र पांच वर्षों तक राज्यों की क्षतिपूर्ति करेगा। राजस्व की क्षति का बीते तीन वित्त वर्षों के औसत के आधार पर अगले पांच साल के लिए आकलन किया जाएगा। क्षतिपूर्ति का भुगतान तिमाही आधार पर किया जाएगा।
=>>आगे की बैठकों में होगा फैसला
- जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 30 सितंबर को होगी। इसमें छूट से संबंधित नियमों पर मुहर लगाई जाएगी। यह भी तय किया जाएगा कि जीएसटी से छूटों को कैसे लागू किया जाए। इसके बाद काउंसिल की तीन दिवसीय बैठक 17-19 अक्टूबर के बीच होगी। इसमें जीएसटी दरों पर फैसला किया जाएगा। इस बीच केंद्र और राज्यों के अधिकारियों की तकनीकी समिति विभिन्न मुद्दों पर आम राय बनाने की कोशिश जारी रखेगी। वह अपनी रिपोर्ट काउंसिल को सौंपेगी।
=>>बंद हों अंतरराज्यीय चेकपोस्ट
- जीएसटी लागू होने के बाद सभी अंतरराज्यीय चेक पोस्ट बंद कर दिए जाने चाहिए। वाणिज्य मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को यह सुझाव दिया है। इस कदम से एक से दूसरे राज्य में सामानों की मुक्त आवाजाही हो सकेगी।
- लॉजिस्टिक प्रतिस्पर्धा क्षमता बेहतर होने से निर्यातकों को खासतौर पर लाभ मिलेगा। अभी राज्यों के किसी चेकपोस्ट पर ट्रक को एक घंटे से साढ़े चार घंटे तक का समय लगता है।
=>>इन बिंदुओं पर बनी सहमति
1. सालाना 20 लाख रुपये से कम टर्नओवर वाले व्यापारी जीएसटी के दायरे से बाहर
2. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू- कश्मीर व पूर्वोत्तर राज्यों में 10 लाख से कम टर्नओवर वालों पर जीएसटी नहीं
3. सालाना 1.5 करोड़ रुपये के कारोबार वाले व्यापारी आएंगे राज्यों के दायरे में
4. डेढ़ करोड़ से अधिक कारोबार वालों पर केंद्र व राज्य दोनों का क्षेत्राधिकार
5. 1.5 करोड़ रुपये से कम सालाना टर्नओवर वाले 11.5 लाख सेवा करदाता रहेंगे अभी केंद्र के दायरे में
6. 2015-16 को आधार वर्ष मान राज्यों के राजस्व का लगाया जाएगा अनुमान
=>आगे क्या होगा?
1. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 30 सितंबर को होगी
2. इसी बैठक में मिलेगा छूट संबंधी नियमों के मसौदे को अंतिम रूप
=>कितनी होगी जीएसटी की दर?
1. काउंसिल की 17 से 19 अक्टूबर तक तीन दिवसीय बैठक में जीएसटी की दरों के बारे में होगा फैसला
2. मुख्य आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता वाली समिति की मानक जीएसटी दर 18 प्रतिशत रखने की सिफारिश