परिवहन तरीके के रूप में जल मार्ग के अधिकतम उपयोग के लिए किए गए उपाय

(i) नदी समु्द्र पोत अधिसूचना के जरिये भारतीय तटीय जलों के भीतर संचालन के लिए मानव एवं तकनीकी आवश्‍यकता का परिनियमन;

(ii) तटीय व्‍यापार संचालनों को सुगम बनाने के लिए अंत: स्‍थलीय पोत सीमाओं की घोषणा;

(iii) तट से 20 मील की दूरी के भीतर संचालन करने वाले तटीय पोतों के लिए तटीय जहाज रानी नियम जारी करना;

(iv) बड़े बंदरगाहों को तटीय कार्गो, तटीय पोतों के लिए लंगर डालने में वरीयता एवं विशिष्‍ट तटीय पोतों हेतु लंगर डालने के निर्माण के लिए ग्रीन चैनल के उपयोग की सलाह देना;

(v) एग्जिम कार्गों या खाली कंटेनरों या भारत में दो बंदरगाहों के बीच घरेलू कार्गो ले जाने वाले तटीय पोतों द्वारा उपयोग के लिए बंकर ईंधनों (आईएफओ 180 और आईएफओ 380 सीएसटी) पर सीमा शुल्‍क एवं केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क पर छूट;

(vi) तटीय जहाज रानी के लिए 70 प्रतिशत के सर्विस टैक्‍स को घटाकर सड़क एवं रेल के समतुल्‍य लाना एवं

(vii) सीमा शुल्‍क परिक्रियाओं का सरलीकरण आदि। 

जल मार्ग के जरिये ऑटोमाबाइल कार्गो के परिवहन को बढ़ावा देने के लिए रॉल-ऑन–रॉल-ऑफ पोतों के लिए तटीय व्‍यापार शुल्‍क में कमी करने के अतिरिक्‍त यथा मूल्‍य आधार की जगह प्रति इकाई के आधार पर गोदी शुल्‍क बड़े बंदरगाहों के लिए लागू किया गया है एवं एक भारतीय बंदरगाह से दूसरे भारतीय बंदरगाह तक कारों के परिवहन के लिए तटीय यात्रा पर रॉल-ऑन–रॉल-ऑफ पोतों के लिए रियायती दरों पर टैरिफ की अनुशंसा की गई है। 

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