★ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) बिल राज्यसभा में पेश कर दिया गया। अगर सब ठीक रहा तो उम्मीद है कि अगले साल यानी 2017 मे एक अप्रैल से जीएसटी लागू हो जाएगा। लेकिन जीएसटी को लेकर आम लोगों में चर्चा है कि इससे महंगाई कम होगी।
★पूरे देश में किसी वस्तु की कीमत एक समान होगी। बहुत सारे टैक्सों की जगह एक ही टैक्स लगेगा। इससे आम नागरिक और देश की अर्थव्यस्था को काफी फायदा होगा। अगर जीएसटी लागू को कुछ चीजें महंगी हो जाएंगी और बहुत कुछ सस्ते हो जाएंगे।
=>क्या सस्ता होगा और क्या महंगा
★★सस्ता :-
♂बाजार में अभी आप जो सामान खरीदते हैं उसके लिए आपको टैक्स पर टैक्स देना पड़ता है। एक ही सामान पर कई बार टैक्स देना पड़ता है और वो भी पहले से लगाए टैक्स पर टैक्स। जब कोई वस्तु कारखाने से बनकर तैयार होती है तो उस पर केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क लगाती है।
♂ फिर वह वस्तु किसी दूसरे राज्य में जाती है तो फिर उस पर चुंगी और केन्द्रीय बिक्री कर जोड़ा जाता है। उसके बाद राज्य सरकार उस 12.50 प्रतिशत तक वैल्यू एडेड टैक्स यानी वैट लगाती है। इससे ग्राहकों को कई स्तर टैक्स देना होता है। जिससे चीजें महंगी हो जाती हैं।
♂ लेकिन जीएसटी की नई व्यवस्था में रोड टैक्स के अलावा ग्राहक को सिर्फ एक टैक्स देना होगा। इस टैक्स का आधा हिस्सा केंद्र और आधा राज्य को जाएगा। इससे पता चलता है कि ग्राहकों को फायदा होगा। आर्थिक जानकारों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद कुछ समय तक खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी हो सकती है लेकिन जीएसटी की शुरुआती दिक्कतें खत्म होने के बाद महंगाई में भी कमी आएगी।
♂जीएसटी से कंपनियों को कच्चे माल और कल पूर्जें सस्ते दरों में मिलेंगे। जिसका फायदा ग्राहकों को भी मिलेगा। पूरा देश एक बाजार बन जाएगा। इससे पूरे उद्योग जगत को लाभ होगा। उद्योग जगत से जुड़े लोग जीएसटी को लेकर उत्साहित हैं।
=>महंगा :-
★मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यिन कमेटी की रिपोर्ट में वस्तु और सेवाओं के लिए टैक्स दर 17 से 18 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया गया। अगर कमेटी की सिफारिशें पूरी तरह से मानी गई तो तो सर्विस टैक्स की दर 17 से 18 प्रतिशत के बीच हो सकती है। अभी सर्विस टैक्स की दर 15 प्रतिशत है। यानी सर्विस टैक्स बढ़ सकता है।
★ जिससे मोबाइल फोन पर बात करना, होटलों में भोजन करना, क्रेडिट कार्ड पर खरीदारी, हवाई सफर, अस्पताल, स्टॉक ब्रोकर, ब्यूटी पार्लर, बीमा, ड्राई क्लीनिंग महंगा हो सकता है। छोटी गाड़ियों पर फिलहाल उत्पाद शुल्क 8 प्रतिशत लगता है जबकि एसयूवी जैसी बड़ी गाड़ियों पर ये दर 30 प्रतिशत है।
★ साफ है अगर सभी राज्यों ने मिलकर जीएसटी की दर को 18 प्रतिशत तय किया तो छोटी गाड़ियां महंगी हो जाएंगी और बड़ी गाड़ियां सस्ती। शराब, पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और रसोई गैस को फिलहाल जीएसटी से बाहर रखने का फैसला किया गया है। मतलब केंद्र और राज्य सरकारें दोनों मिलकर उस पर टैक्स लगाती रहेंगी। तंबाकू को जीएसटी के दायरे में लाया गया है, केंद्र सरकार इस पर उत्पाद शुल्क लगा सकती है।
★ फिलहाल, अभी ये तय नहीं कि जीएसटी की दर क्या होगी। दर तय करने का जिम्मा वित्त मंत्री की अगुवाई वाले जीएसटी काउंसिल पर होगी, जिसमें विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य होंगे। हालांकि किस सामान पर जीएसटी की दर क्या होगी, ये तय करने का जिम्मा जीएसटी काउंसिल पर छोड़ दिया गया है।
★ राजनीतिक सहमति बनाने के लिए केंद्र ने जहां राज्यों को जीएसटी लागू होने की सूरत में किसी भी तरह के नुकसान की पूरी-पूरी भरपाई 5 साल करने का प्रस्ताव दिया है, वहीं एक फीसदी के अतिरिक्त टैक्स का प्रस्ताव भी वापस ले लिया है।