Why in news:
- स्पेशल इकनॉमिक जोन (SEZ) बनाने के लिए ली गई जमीन में से अब तक उपयोग न की गई जमीन को किसानों को लौटाने और सेज के नियमों का कुछ कंपनियों की ओर से कथित तौर पर उल्लंघन किए जाने की अदालत की निगरानी में सीबीआई से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और सात राज्यों से जवाब मांगा।
ये नोटिस एक पीआईएल पर जारी किए गए, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सेज के लिए ली गई जमीन का 80 पर्सेंट हिस्सा जस का तस पड़ा है और उसका कोई उपयोग नहीं किया गया है।
What is the matter:
- याचिका में आरोप लगाया गया कि पिछले पांच वर्षों में ही 4,842.38 हेक्टेयर जमीन कई सेज के लिए ली जा चुकी है और उसमें से केवल 362 हेक्टेयर का इस्तेमाल हुआ है।
- किसानों को न केवल उनकी जमीन से वंचित कर दिया गया, बल्कि रोजगार के मौके बनाने और ली गई जमीन पर औद्योगिक गतिविधि शुरू करने जैसे फायदे भी सामने नहीं आ सके।
- पीआईएल में कहा गया कि जिन कंपनियों के सेज के लिए जमीन ली गई थी, उनमें से कुछ कंपनियों ने जमीन के दस्तावेजों को बैंकों के पास गिरवी रखकर लोन उठा लिया, लेकिन हैरत की बात यह रही कि लोन की रकम का इस्तेमाल इन सेज के डिवेलपमेंट में नहीं किया।
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