अशिक्षित मांओं की तुलना में शिक्षित मांओं के हैं कम बच्‍चे

  • देश में लड़कियों के शिक्षित होने का असर जनसंख्‍या में कमी के रूप में दिख रहा है। पढ़ी-लिखी महिलाएं कम बच्‍चों को जन्‍म दे रही हैं।
  •  साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में 3 करोड़ 40 लाख शादीशुदा महिलाएं हैं। एक महिला के औसतन 3.3 बच्चे हैं।  वहीं, साल 2001 की जनगणना के मुताबिक उस वक्‍त यह औसत 3.8 का था। जबकि, साल 1991 में ये संख्या औसत 4.3 था। 
  • रिपोर्ट के मुताबिक अनपढ़ और शिक्षित महिलाओं की तुलना करने पर इस आकड़े में बहुत अंतर है। जो महिलाएं अनपढ़ हैं, उनके औसतन 3.8 बच्चे हैं।
  • वहीं, शिक्षित महिलाओं के औसतन 1.9 बच्चे हैं। ये संख्या अनपढ़ महिलाओं की तुलना में आधी है।
  •  जिला शिक्षा सूचना प्रणाली के साल 2014-2015 आकड़ों के मुताबिक, 13 लाख लड़कियों ने पहली क्लास में दाखिला लिया था। लेकिन ये संख्या 12वीं क्लास में आते-आते 58 फीसद हो जाती है।
  •  यानी 12वीं क्लास में सिर्फ 5.4 लाख लड़कियों ने ही प्रवेश लिया। इसका मतलब है कि काफी बड़ी संख्या में लड़कियां पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं। जनगणना के मुताबिक, वह महिलाएं जिन्होंने 8वीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ दी, उनके औसतन 3 बच्चे हैं।
  • जिन महिलाओं ने हाईस्कूल के दौरान पढ़ाई छोड़ दी उनके बच्चों की संख्या औसतन 2.8 है। वहीं, हाईस्कूल और ग्रेजुएशन करने वाली महिलाओं के बच्चों की संख्या औसतन 2.3 है।
  • जनगणना के मुताबिक पुरुषों की प्रभावी साक्षरता दर 82.14 फीसद और महिलाओं की साक्षरता दर 65.46 फीसद है। साल 2011 के बाद से 1.7 करोड़ पुरुषों के मुकाबले 1.10 करोड़ अतिरिक्त महिलाएं साक्षर हुईं हैं। इसका अर्थ यह है कि साक्षर महिलाओं का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।

 

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