क्या है यह मामला : महिला को गर्भधारण किए 24 सप्ताह हो गए हैं। उसने कहा कि वह गरीब पृष्ठभूमि की है और उसका भ्रूण मस्तिष्क संबंधी जन्मजात विकृति ‘ऐनिन्सफली’ से पीड़ित है, लेकिन चिकित्सकों ने गर्भपात करने से इनकार कर दिया है, जिसको देखते हुए गर्भपात की 20 सप्ताह की सीमा के कारण महिला के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को खतरा है।
- याचिका में चिकित्सकीय गर्भपात कानून 1971 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है, क्योंकि यह गर्भपात की अनुमति के लिए 20 सप्ताह की सीमा तय करता है।
- याचिका में 20 सप्ताह की सीमा तय करने वाले चिकित्सकीय गर्भपात कानून 1971 की धारा 3 (2) (बी) को निष्प्रभावी किए जाने की मांग की है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 का उल्लंघन है।
- कोर्ट की तरफ से पैनल गठित करने की मांग :इसमें केंद्र को यह आदेश देने की मांग की गई है कि वह अस्पतालों को चिकित्सकों के एक विशेषज्ञ पैनल का गठन करने का निर्देश दे। यह पैनल गर्भावस्था का आकलन करे और कम से कम उन महिलाओं एवं लड़कियों के चिकित्सकीय गर्भधारण की व्यवस्था करें, जो यौन हिंसा का शिकार हुई हैं और जिन्हें गर्भधारण किए 20 सप्ताह से अधिक हो गए हैं।