Rohingyas question relates to national security of India and our ethics lies in protecting our National interest
- देश में बसे रोहिंग्या शरणार्थियों पर सरकार के रुख, गोरक्षकों द्वारा किए जा रहे हमले और गौरी लंकेश की हत्या पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) की निंदा का भारत ने कड़ा विरोध किया है.
- संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा, ‘हम यूएनएचआरसी के उच्चायुक्त जीद राद अल हुसैन द्वारा इन मसलों पर की गई निंदात्मक टिप्पणियों से आहत हैं.’
- यह भी कहा कि किसी एक घटना के आधार पर ऐसी टिप्पणी करना अच्छी बात नहीं है. उनका कहना था कि दूसरे देशों की ही तरह भारत भी अवैध प्रवासियों को लेकर चिंतित है. उन्होंने बताया कि इनकी संख्या बढ़ने से राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और देश में कानून का पालन कराने का मतलब किसी वंचित समाज के प्रति दया भाव में कमी लाना नहीं है.
- यूएनएचआरसी के उच्चायुक्त जीद राद अल हुसैन ने इस मामले पर कहा था, ‘मैं रोहिंग्या मुसलमानों को तब उनके देश म्यांमार भेजने के भारत के निर्णय की कड़ी निंदा करता हूं जब वहां उन पर जुल्म हो रहे हों.’ उन्होंने यह भी बताया था कि भारत में 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान हैं, जिनमें से 16 हजार ने संयुक्त राष्ट्र से शरणार्थी प्रमाण-पत्र ले लिया है.
- इससे पहले भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों को अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों की पहचान करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया था. इसमें देश में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों से देश की सुरक्षा को खतरा बताते हुए उन्हें बाहर निकालने को कहा गया है.