मुद्रा का विनिमय मूल्य (Exchange Value of Money): जब देश की प्रचलित मुद्रा का मूल्य किसी विदेशी मुद्रा के साथ निर्धारित किया जाता है ताकि मुद्रा की अदला-बदली की जा सके तो इस मूल्य को मुद्रा का विनिमय मूल्य कहा जाता है। वह मूल्य दोनों देशों की मुद्राओं की आंतरिक क्रय शक्ति पर निर्भर करता है।
मुद्रास्फीति (Money Inflation): मुद्रास्फीति वह स्थिति है जिसमें मुद्रा का आंतरिक मूल्य गिरता है और वस्तुओं के मूल्य बढ़ते हैं। यानी मुद्रा तथा साख की पूर्ति और उसका प्रसार अधिक हो जाता है। इसे मुद्रा प्रसार या मुद्रा का फैलाव भी कहा जाता है।
मुदा अवमूल्यन (Money Devaluation): यह कार्य सरकार द्वारा किया जाता है। इस क्रिया से मुद्रा का केवल बाह्य मूल्य कम होता है। जब देशी मुद्रा की विनिमय दर विदेशी मुद्रा के अनुपात में अपेक्षाकृत कम कर दी जाती है, तो इस स्थिति को मुद्रा का अवमूल्यन कहा जाता है।
रेंगती हुई मुद्रास्फीति (Creeping Inflation): मुद्रास्फीति का यह नर्म रूप है। यदि अर्थव्यवस्था में मूल्यों में अत्यंत धीमी गति से वृद्धि होती है तो इसे रेंगती हुई स्फीति कहते हैं। अर्थशास्त्री इस श्रेणी में एक फीसदी से तीन फीसदी तक सालाना की वृद्धि को रखते हैं। यह स्फीति अर्थव्यवस्था को जड़ता से बचाती है।
रिकॉर्ड तारीख (Record List): बोनस शेयर, राइट शेयर या लाभांश आदि घोषित करने के लिए कंपनी एक ऐसी तारीख की घोषणा करती है जिस तारीख से रजिस्टर बंद हो जाएंगे। इस घोषित तारीख तक कंपनी के रजिस्टर में अंकित प्रतिभूति धारक ही वास्तव में धारक माने जाते हैं। इस तारीख को ही रेकॉर्ड तारीख माना जाता है।
रिफंड ऑर्डर (Refun Order): यदि किसी शेयर आवेदन पत्र पर शेयर आवंटन की कार्यवाही नहीं होती तो कंपनी को आवेदन पत्र के साथ संपूर्ण रकम वापस करनी होती है। रकम वापसी के लिए कंपनी जो प्रपत्र भेजती है उसे रिफंड ऑर्डर कहा जाता है। रिफंड ऑर्डर चेक, ड्राफ्ट या बैंकर चेक के रूप में होता है तथा जारीकर्ता बैंक की स्थानीय शाखा में सामान्यत: सममूल्य पर भुनाए जाते हैं।
लाभांश (Dividend): विभाजन योग्य लाभों का वह हिस्सा जो शेयरधारकों के बीच वितरित किया जाता है, लाभांश कहा जाता है। यह करयुक्त और करमुक्त दोनों हो सकता है। यह शेयरधारकों की आय है।
लाभांश दर (Dividend Rate): कंपनी के एक शेयर पर दी जाने वाली लाभांश की राशि को यदि शेयर के अंकित मूल्य के साथ व्यक्त किया जाए तो इसे लाभांश दर कहा जाता है। इसे अमूमन फीसदी में व्यक्त किया जाता है।
लाभांश प्रतिभूतियां (Dividend Securities): जिन प्रतिभूतियों पर प्रतिफल के रूप में निवेशक को लाभांश मिलता है, उन्हें लाभांश वाली प्रतिभूतियां कहा जाता है। जैसे समता शेयर, पूर्वाधिकारी शेयर।
शून्य ब्याज ऋणपत्र (Zero Rated Deventure): इस श्रेणी के डिबेंचरों या बॉन्डों पर सीधे ब्याज नहीं दिया जाता, बल्कि इन्हें जारी करते वक्त कटौती मूल्य पर बेचा जाता है और परिपक्व होने पर पूर्ण मूल्य पर शोधित किया जाता है। जारी करने के लिए निर्धारित कटौती मूल्य के अंतर को ही ब्याज मान लिया जाता है।