अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र को जीवंत बनाए रखने का एक माध्यम है| इसके द्वारा समाज में समानता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है परंतु गोत्र निराधार कल्पनाओं मात्र के आधार पर पुस्तकों अथवा कला के किसी स्वरूप को बाधित किया जाना एक आम बात हो गई है| इस

GS PAPER II

Burning Issues: Policy Intervention

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र को जीवंत बनाए रखने का एक माध्यम है| इसके द्वारा समाज में समानता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है परंतु गोत्र निराधार कल्पनाओं मात्र के आधार पर पुस्तकों अथवा कला के किसी स्वरूप को बाधित किया जाना एक आम बात हो गई है| इस कथन के संदर्भ में इस बात की जांच कीजिए की पुस्तकों अथवा सिनेमा को सेंसर किया जाना किस हद तक सही है?

http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-opinion/the-right-to-read-and-be-read/article19867930.ece

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