#नवभारत टाइम्स
Context:
सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भंग करके इसकी जगह उच्चतर शिक्षा आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू की है
Analysis
- यूजीसी की एक कमी यह रही कि वह विश्वविद्यालयों को विदेशों से फैकल्टी आमंत्रित करने की राह में आने वाली अड़चनों को दूर नहीं कर पाया।
- नए कोर्स शुरू करने जैसे सवालों पर स्वायत्तता की कमी विश्वविद्यालयों को बदलते वक्त की जरूरतों के अनुरूप ढालने के मार्ग में बाधा बनी रही। कहा जा रहा है कि नया कानून उच्च शिक्षा का स्तर ऊंचा करने में सहायक सिद्ध होगा। इस उम्मीद का एक आधार यह है कि प्रस्तावित एचईसी का फोकस ऐकडेमिक मसलों पर ही रहेगा। फंड देने की जिम्मेदारी से उसको मुक्त रखा जाएगा। यह जिम्मेदारी फिलहाल मानव संसाधन मंत्रालय के पास ही रहेगी।
- फंड देने का काम सीधे मंत्रालय के अधीन रखने के अपने खतरे हैं, लेकिन अभी तो सबसे बड़ी चिंता यह है कि देश में उच्च शिक्षा को विनियमित करने का काम ढंग से शुरू भी नहीं हो पाया है।
- सरकार की ताजा पहल को लेकर बहुत सारे सवाल हो सकते हैं, पर इसमें कोई शक नहीं कि यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव के अजेंडे को सामने लाती है। इसे व्यवहार में परखने की जरूरत है, ताकि आगे बढ़ते हुए समाज, इंडस्ट्री और रोजगार की जरूरतों के अनुरूप आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था बनाई जा सके
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