India Israel relation needs to go beyond defence and partnership areas could be Cyber Security, Agriculture etc.
#Satyagriha
इजरायली प्रधानमंत्री के दिल्ली पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रोटोकॉल तोड़कर उनसे मिलना बताता है कि इन दोनों नेताओं के बीच कितनी प्रगाढ़ता है. यह प्रगाढ़ता आज भारत-इजरायल संबंधों में भी देखी जा रही है. बेंजामिन नेतन्याहू के इस छह दिवसीय भारत दौरे से करीब छह महीने पहले ही नरेंद्र मोदी इजरायल गए थे और वह पहली बार था जब भारत के किसी प्रधानमंत्री ने इस पश्चिम-एशियाई देश का दौरा किया. इससे यह भी साफ हो गया था कि भारत इजरायल के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों के 25 वर्षों बाद हिचक छोड़कर गर्मजोशी भरे संबंधों की तरफ बढ़ना चाहता है.
Idealism to realism
इस तरह भारत अपनी विदेश नीति में आदर्शवाद से उलट व्यावहारिक रवैया अपनाता दिख रहा है.
वहीं दूसरी तरफ यरुशलम के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के खिलाफ वोट देना भी भारत द्वारा अपनी रणनीतिक स्वायत्ता बरकरार रखने का व्यवहारिक रवैया दिखाता है. इसी का एक पक्ष यह भी है कि इजरायल से खराब संबंध होने के बावजूद ईरान के साथ भारत के दोस्ताना संबंध हैं.
Not just defence but beyond that
इजरायल आज सिर्फ रक्षा क्षेत्र में ही भारत का बड़ा आपूर्तिकर्ता नहीं है, बल्कि यहां दूसरे अन्य क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग मुहैया करा रहा है.
यह ऐसा देश है जिसने ड्रिप सिंचाई से अपने यहां मौजूद मरुस्थल को हरभरा बनाया है. यही वजह है कि कृषि और जल संसाधन के मोर्चों पर हमें इस पश्चिम-एशियाई देश से काफी मदद मिल रही है.
प्रधानमंत्री की इजरायल यात्रा के बाद से दोनों देशों के बीच कृषि क्षेत्र से जुड़े सात और उत्कृष्टता केंद्रों में कामकाज शुरू हो चुका है और इसके साथ भारत-इजरायल कृषि परियोजना के तहत ऐसे केंद्रों की संख्या 20 हो गई है.
Agriculture and relation आज भारत की कृषि पर निर्भर आबादी को जल संरक्षण और उसके पुनर्प्रयोग के तौर-तरीके इजरायल से सीखने की जरूरत है. वैसे भी हमारे देश में जल संरक्षण की काफी लचर स्थिति है साथ ही साथ पानी के बंटवारे को लेकर राज्यों के बीच भी जब तक तनाव देखा जाता है. इन परिस्थितियों से निकलने में इजरायल हमारी काफी मदद कर सकता है.
Cyber Security: भारत और इजरायल के बीच और भी क्षेत्रों में सहयोग मजबूत हो सकता है, जैसे कि साइबर सुरक्षा और सीमा पर निगरानी तंत्र. भारत बुनियादी ढांचा विकास और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में भी इजरायली विशेषज्ञता की मदद ले सकता है. यह पश्चिम-एशियाई देश ‘स्टार्ट अप’ हब के रूप में भी जाना जाता है जो भारत की नई आईटी कंपनियों के आगे बढ़ने और बाजार में टिकने में सहायता कर सकता है.
भारत और इजरायल के संबंध अगर रक्षा क्षेत्रों से इतर तेजी से आगे बढ़ाने हैं तो इसके लिए दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता जरूरी है. मुक्त व्यापार के जरिए ही भारत की कई कंपनियां इजरायल की साझेदारी में वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने की कोशिश कर सकती हैं. आज ये दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे की पूरक बन सकती हैं. चूंकि इजरायल अमेरिका या यूरोपीय संघ की तरह कोई बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं है ऐसे में भारत के लिए उसके साथ साझेदारी आसान होगी. इसीलिए अब भारत और इजरायल के बीच संबंधों का अगला लक्ष्य मुक्त व्यापार समझौता ही होना चाहिए