उड़ान की उड़ान (UDAN)

#Jansatta Editoria

खबरों में :

प्रधानमंत्री ने गुरुवार को ‘उड़ान’ योजना के तहत शिमला से दिल्ली की पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाई। इसी दिन उन्होंने नांदेड़-हैदराबाद और कडप्पा-हैदराबाद के बीच भी ऐसी ही सेवा का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया। 

क्या है योजना :

Ø  यूडीएएन (उड़ान) यानी ‘उड़े देश का आम नागरिक’ का मकसद साफ है, देश में हवाई यात्रा को किफायती बनाना तथा हवाई यात्रा-सुविधा का विस्तार करना।

Ø  इन दोनों चीजों को साधने के लिए सरकार ने कई तजवीजें की हैं। इनमें सबसे खास है एक घंटे के हवाई सफर के किराए की सीमा बांधना, जो कि ढाई हजार रुपए होगी।

Ø   इस योजना के तहत दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों के बीच हवाई यातायात बढ़ाने पर भी जोर है।

Ø  इसके लिए बंद पड़े या अनुपयोगी हो चुके या बहुत कम काम आ रहे, सब तरह के हवाई अड्डों का जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण किया जाएगा।

Ø  इस तरह देश में आंचलिक हवाई संपर्क बढ़ेंगे। इसमें दो राय नहीं कि अगर एक घंटे का किराया बस ढाई हजार रुपए होगा, तो हवाई आवाजाही बढ़ेगी। बहुत-से लोग ट्रेन के सफर में लगने वाले ज्यादा समय के कारण विमान का विकल्प चुनेंगे।\

 योजना कितनी कारगर हो पाएगी

Ø  इस योजना को आकर्षक बनाने के लिए एक घंटे के किराए की जो सीमा सरकार ने तय की है वह बाजार के भरोसे नहीं है, जिसकी दुहाई उदारीकरण के सारे पैरोकार देते रहे हैं।

Ø  किफायती किराए की दर सबसिडी के सहारे तय की गई है, यानी इसका बोझ सरकारी खजाने पर पड़ेगा।

Ø  केंद्र ने कहा है कि वह नुकसान की अस्सी फीसद तक भरपाई करने को तैयार है। बाकी बीस फीसद की भरपाई का भार राज्यों को वहन करना होगा। अलबत्ता पूर्वोत्तर के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर यह जिम्मेवारी दस फीसद की ही होगी। राज्यों को विमान र्इंधन पर लगने वाले वैट से लेकर कई मामलों में उत्पाद शुल्क और सेवा कर से भी हाथ धोना पड़ सकता है या भारी कटौती करनी पड़ सकती है।

Ø  इस योजना में शामिल होने के लिए बोली लगाने वालों में स्पाइसजेट को छोड़ कोई बड़ी कंपनी फिलहाल नहीं है। वजह साफ है, लागत के हिसाब से आय न होना।

Ø  यह सही है कि सरकार ने व्यवहार्यता अंतर कोष (वीजीएफ) के जरिए नुकसान की भरपाई का भरोसा दिलाया है, पर यह कोष केवल तीन साल के लिए होगा। इसलिए अभी ज्यादातर बड़ी कंपनियां झिझक रही हैं या देखो और इंतजार करो की मुद्रा में हैं।

Ø  दिल्ली और शिमला के बीच किफायती उड़ान एअर इंडिया की सहायक कंपनी एलायंस एअर ने शुरू की है, पर सब जानते हैं कि कारोबारी लिहाज से बार-बार लड़खड़ाने वाली एअर इंडिया को किस तरह करदाताओं के पैसे से संभाला जाता रहा है।

Ø   एक पहलू यह भी है कि वीजीएफ जुटाने की कवायद में दूसरी उड़ानों पर शुल्क या उप-कर लगाया जा सकता है। जाहिर है, इससे वे उड़ानें और महंगी होंगी। सरकार ने पिछले साल जून में नई विमानन नीति की घोषणा की थी। ‘उड़ान’ उसी पर अमल की शुरुआत है। मगर असल चुनौती है जिस पैमाने पर इस योजना की रूपरेखा बनाई गई है उस पैमाने पर इसे कैसे ले जाया जाए और कैसे यह कारोबार की शर्तों पर टिकाऊ बन पाए।

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