Does Russian revolution still has impact on world?
आज पूरी दुनिया में रूस की साम्यवादी क्रांति के 100 साल पूरे होने पर बहस, बातचीत हो रही है। ऐसे में बीते सौ साल में रूस में जो बदलाव आया है, उसे एक घटना से समझा जा सकता है। इस वक्त रूस में न्यू रशियन रेवेल्यूशन 2017 की मांग जोर पकड़ रही है।
इसके बावजूद 20वीं सदी के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन पर जिन चंद घटनाओं ने सबसे ज्यादा असर डाला है, उनमें दोनों विश्वयुद्ध के बाद रूस की क्रांति सबसे महत्वपूर्ण है।
यह क्रांति ऐसे वक्त में घटी जब पूरी दुनिया पहले विश्व युद्ध से जूझ रही थी। क्रांति के बाद रूस पहले विश्व युद्ध से अलग हो गया था। अगर रूसी क्रांति न होती, तो जाहिर है दुनिया की मौजूदा शक्ल भी ऐसी न होती, जो हम अभी देख रहे है, क्योंकि बीते 100 सालों में दुनिया के हर क्षेत्र पर इसका व्यापक असर रहा है।
=>आर्थिक: बदला पूंजीवाद का स्वरूप
क्रांति ने रूस की आर्थिक संरचना पूरी तरह बदल दी थी। व्यक्तिगत संपत्ति के खात्मे के साथ उद्योगों पर कामगारों का नियंत्रण स्थापित हुआ। इसके बाद पूरी दुनिया में पूंजीवादी समाज का स्वरूप बदला और दुनियाभर में आर्थिक सुधार लागू हुए।
कामकाजी समाज की जरूरतों के मद्देनजर केंद्रीयकृत अर्थव्यवस्था की शुरुआत हुई। अन्य देशों और सत्ताओं ने अपने देश में क्रांति स्थगित करने के लिए नागरिकों को ज्यादा आर्थिक स्वतंत्रता मुहैया कराई और लाभ में कामगारों की हिस्सेदारी भी बढ़ी।
=>सामाजिक: गैरबराबरी के खिलाफ बना माहौल
रूसी क्रांति के बाद पूरी दुनिया में सामाजिक गैरबराबरी के खिलाफ माहौल तैयार हुआ। ब्रिटेन और स्पेन के उपनिवेशों में लोगों के बीच रूसी क्रांति ने नई चेतना जगाई और इन देशों में किसी भी कीमत पर आजादी पाने की चाह ने व्यापक रूप लिया।
नतीजतन बाद के दशकों में कई देश साम्राज्यवादी देशों की गुलामी से आजाद हुए। नि:शुल्क चिकित्सा सेवा, नि:शुल्क और समान सर्वशिक्षा जैसे सामाजिक बदलावों पर दुनिया भर में बहस हुई और कई देशों ने इन्हें लागू भी किया।
=>महिला: बढ़ी राजनीतिक, आर्थिक हिस्सेदारी
रूसी क्रांति में महिलाओं की बड़ी भूमिका थी और पूरी 20 सदी में महिलाओं की राजनीतिक भूमिका पर इसका असर रहा है। रूस में सोवियत शासन के दौरान स्त्रियों को आर्थिक स्वतंत्रता मिली और वे आत्मनिर्भरता हासिल करने में सफल रहीं। अक्टूबर 1918 में विवाह संहिता, परिवार, अभिभावकत्व जैसे कानूनों से यूरोपीय, अफ्रीकी और एशियाई समाजों पर व्यापक असर पड़ा।
=>राजनीति: शासन के विकल्पों पर चर्चा
किताबों तक तक सीमित साम्यवादी शासन का जमीनी प्रयोग पहली बार सामने आया। इसके बाद दुनिया के करीब आधे हिस्से में कम्यूनिस्ट शासन स्थापित हुआ। क्रांति के बाद कम्यूनिस्ट इंटरनेशन की स्थापना हुई। हालांकि कई देश अपनी क्रांतियां बचा नहीं पाए, लेकिन विचार के तौर पर समर्थन-आलोचना के साथ पूरी 20 सदी में साम्यवादी शासन की चर्चा रही। असफल होने के कारणों से स्वरूप बदलने के राजनीतिक उदाहरण सामने आते रहे।
=>शीत युद्ध: दो धुव्रीय दुनिया में हथियारों की होड़
यूरोपीय राज्य में साम्यवाद का क्रांति के जरिये आना यूरोपीय और अमरीकी देशों को नागवार गुजरा था। दूसरे विश्व युद्ध में रूस मित्र देशों की और इस दौरान अमरीका और सोवियत संघ के मध्य मतभेद उभरे। इसके बाद पूरी दुनिया में शीत युद्ध का माहौल बना। इस समय पूरी दुनिया दो बड़ी ताकतों के साथ धड़ों में बंट गई। पूंजीवादी खेमा अमरीका और साम्यवादी खेमा सोवियत संघ के साथ था।
इसी दौरान "परमाणु और अन्य हथियारों की होड़ भी बढ़ी। स्वेज संकट, क्यूबा संकट, अफगानिस्तान की समस्या इसके उदाहरण थे.