केंद्र सरकार ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए 12 विशेष अदालतें गठित करने की घोषणा की है.
सुप्रीम कोर्ट में सौंपे हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि इन सभी विशेष अदालतों को अगले एक साल में गठित किया जाएगा और इन पर 7.8 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में इस बारे में केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. सरकार को छह हफ्ते का समय देते हुए शीर्ष अदालत ने इन विशेष अदालतों को गठित करने का खाका सौंपने को कहा था. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों को एक साल के भीतर निपटाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार या अन्य अपराध साबित होने पर उनके चुनाव लड़ने पर छह साल की जगह आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक यह प्रावधान भेदभावपूर्ण है, इसलिए असंवैधानिक है, क्योंकि अधिकारियों और कर्मचारियों पर अपराध साबित होने पर उन्हें न केवल नौकरी से निकाल दिया जाता है, बल्कि हमेशा के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है.