सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के वक्त खड़ा होने का आदेश थोपना उचित नहीं : SC

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के वक्त खड़े होने के आदेश का विरोध किया है. इस मामले की सुनवाई कर रही तीन सदस्यीय खंडपीठ के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह मानना गलत होगा कि जो सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के वक्त खड़ा नहीं होते वे देशभक्त नहीं हैं. राष्ट्रगान अनिवार्य करने के मामले में यह नया मोड़ है.
    सरकार से यह भी कहा कि हर मामले को अदालत पर छोड़ देना ठीक नहीं है. उनका कहना था कि सिनेमा हॉल में लोग मनोरंजन के लिए जाते हैं, इसलिए वहां देशभक्ति के पैमाने की सीमा तय होनी चाहिए. 
    केंद्र को फैसले की छूट देते हुए उन्होंने कहा कि इस पर जारी होने वाले सरकारी आदेश को अदालत के अंतरिम आदेश से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है.
     अदालत ने अपनी सुनवाई में साफ कहा कि ‘तिरंगा संहिता’ पर्याप्त नहीं है, इस पर केंद्र सरकार को ‘कार्यकारी आदेश’ जारी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के वक्त खड़े न होने या इसे न गाने वालों को देशभक्त न मानना ठीक नहीं है.
    केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने से राष्ट्रीय एकता की भावना जागृत होती है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार इस संबंध में नियम क्यों नहीं संशोधित करती। कोर्ट क्यों सरकार का भार वहन करे। लोग सिनेमाघर मनोरंजन के लिए जाते हैं। कल कोई कह सकता है कि लोग हाफ पैंट टी-शर्ट में राष्ट्रगान गाते हैं। इससे राष्ट्रगान का अपमान होता है। हम यहां मोरल पुलिसिंग के लिए नहीं हैं। हम राष्ट्रभक्ति का दिखावा क्यों करें
 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download