- नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए अभियान में सुरक्षाबलों ने काफी सफलता हासिल की है जिससे नक्सली हिंसा में कमी होने के साथ ही ऐसी गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्र भी कम हुए हैं। वर्ष 2017 में नक्सली हिंसा की घटनाएं कम होकर 908 रह गई थीं जबकि 2009 में इनकी संख्या 2258 रही थी। इसके साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी सिमट गए हैं।
- नक्सली हिंसा से निपटने के लिए 11 राज्यों के 90 जिलों में सुरक्षा संबंधित खर्च योजना लागू की गई है। तय रणनीति के तहत नक्सली अपनी गतिविधियों का स्थान बदलते रहते हैं। ऐसा वह आमतौर पर सुरक्षा बलों पर दबाव बनाने के लिए करते हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान माओवादियों ने केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु तथा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में पांव पसारे हैं हालांकि उन्हें वहां कोई ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई है। केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के सीमावर्ती इलाकों में स्थित वयनाड, पालक्काड और मल्लापुरम तथा मध्यप्रदेश का बालाघाट और मांडला, महाराष्ट्र का गोंडिया तथा छत्तीसगढ़ का राजनंदगांव जिला नक्सली हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है।
- सरकार ने नक्सली समस्या से निबटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है जिसके तहत एक ओर जहां वह नक्सल प्रभावित राज्यों को उनके प्रयासों में मदद कर रही है तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्तर पर एक नीति और कार्ययोजना भी तैयार की है। इस योजना में सुरक्षा से जुड़े उपायों के साथ ही स्थानीय लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके विकास से जुड़े कार्यक्रमों को शामिल किया गया है। विकास योजनाओं से जुड़ी पहल में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क बनाने, मोबाइल टॉवर लगाने,कौशल विकास,बैकों और डाकघरों का नेटवर्क सुधारने तथा शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने जैसे काम शामिल हैं। इन उपायों ने स्थानीय लोगों को नक्सलियों से दूर कर सरकार पर उनका विश्वास बढ़ाया है।