पहले आधुनिकीकरण ही चुनौती

India need to upgrade its fire capacity and need to include advance fleets in its airforce
#Dainik_tribune
Indian air force and talent shortage
भारत-पाक के बीच हुए तीन युद्धों में अदम्य साहस और रण कौशल के बलबूते विजय पताका लहराने वाली भारतीय वायुसेना आज विमानों की कमी का सामना कर रही है। आये दिन होती लड़ाकू विमानों की दुर्घटनाएं, प्रशिक्षित पायलटों की मृत्यु बेहद चिंता की बात है। सुविधा, सम्मान व आकर्षक वेतन की चाह में युवाओं के बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की ओर बढ़ते लगाव ने भी वायुसेना में योग्य पायलटों का संकट पैदा किया है। निजी एयरलाइन्स की तेजी से बढ़ती संख्या ने संकट में और इजाफा किया है।

Rising accidents 
बीते 24 नवम्बर को तेलंगाना के निकट वायुसेना का किरण प्रशिक्षण विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ। यह इस साल का नौवां विमान हादसा था। इससे पहले 28 सितम्बर को हैदराबाद में एक ट्रेनी विमान, 6 जुलाई को जोधपुर में एक मिग-23, 4 जुलाई को अरुणाचल में एडवांस्ड लाइट हैलीकॉप्टर, 15 मार्च को राजस्थान में सुखोई -30 और 14 मार्च को इलाहाबाद में चेतक हैलीकॉप्टर क्रैश हुआ था।
कुछ बरस पहले तक तकरीबन सत्रह सौ विमानों के बेड़े वाली भारतीय वायुसेना में लड़ाकू मिग, जगुआर, सुखोई आदि विमानों के अलावा एएन 32, आईएल 76, आईएल 78, बोइंग या एवरो जैसे टर्बो प्रोपल्सन आदि परिवहन व मालवाहक विमान थे। जबकि बीते सालों में ही वायुसेना के बेड़े में दूर तक मार करने वाले मल्टीरोल युद्धक विमान, चिनुक हैलीकॉप्टर और हवा से हवा में ईंधन भरने वाले उज्बेकिस्तान में निर्मित आईएल 78 व नए परिवहन विमान भी शामिल हुए हैं। बीते दस सालों में तकरीबन सौ विमान हादसे के शिकार हुए हैं। औसतन हर साल नौ सैन्य विमान दुर्घटना के शिकार होते हैं। असलियत में वायुसेना ने सबसे ज्यादा दुर्घटनाओं में मिग और सुखोई विमान ही गंवाएं हैं। वैसे जगुआर, एएन-32, किरण ट्रेनर विमान, परिवहन विमान सी-30, एमआई-17 और चेतक हैलीकॉप्टर भी दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। इसका सबसे मुख्य कारण विमानों का खस्ताहाल होना और उनके रखरखाव में ढिलाई, समय पर उनकी मरम्मत न होना व तकनीकी कर्मियों तथा नौजवान अधिकारियों के बीच समन्वय, सहयोग व सामंजस्य का पूर्णत: अभाव है।
Sukhoi & Mig and their Vulnerability
वायुसेना के बेड़े में सबसे ज्यादा लड़ाकू विमान मिग और सुखोई हैं। इनमें मिग-21 व मिग-27 की तादाद ज्यादा है। इन विमानों की देशभर में 14 स्क्वार्डर्न हैं। 2014 तक इन्हें सेवामुक्त किया जाना था। नए विमानों की आपूर्ति में देरी के चलते पुराने मिग विमानों से ही काम चलाया जा रहा है। 
Need for Modernisation
वायुसेना में कुल 42 स्क्वार्डर्न में से केवल आज 32 स्क्वाड्रन ही क्रियाशील हैं। एक स्क्वार्डर्न में तकरीबन 20 विमान होते हैं। दस स्क्वार्डर्न खाली पड़े हैं। कुल 200 विमानों की कमी का वायुसेना सामना कर रही है। सुखोई विमान वायुसेना का आधुनिक विमान है लेकिन यह काफी पुराने हो चुके हैं और इनमें काफी तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। 1997 से 2017 के बीच सात सुखोई विमान हादसे के शिकार हुये। रक्षामंत्री ने स्वयं संसद में स्वीकार किया कि 34 बार ऐसी भी नौबत आई जबकि सुखोई का एक इंजन हवा में ही बंद हो गया। इसी के चलते सौ में से 55 विमान ही सेवा में हैं। नये 272 सुखोई विमानों की खेप आने में तकनीकी प्रक्रिया की वजह से देरी हो रही है। आने वाले कुछेक सालों में 36 राफेल विमान भी भारतीय वायुसेना के बेड़े के हिस्से बन जायेंगे। लेकिन उसमें भी अभी देर है। वायुसेना के हैलीकॉप्टर बेड़े में इस समय 250 किलोमीटर की रफ्तार से 560 किलोमीटर की दूरी तय करने वाले 150 से अधिक एमआई-17 हैलीकॉप्टर हैं।
रक्षा मंत्रालय भी स्वीकार करता है कि 40-45 फीसदी विमान हादसे तकनीकी खराबी के कारण होते हैं। भविष्य में जिस तरह के युद्ध होंगे, उनमें अति आधुनिक बहुउद्देशीय विमानों की बेहद जरूरत होगी। इसकी चेतावनी तो बरसों पहले पूर्व वायुसेनाध्यक्ष, मार्शल ऑफ दि एयरफोर्स अर्जुन सिंह दे चुके हैं। उनका मानना रहा कि भारतीय वायुसेना को न केवल अति आधुनिक विमान चाहिए बल्कि वे समुचित संख्या में होने चाहिए। अति आधुनिक बहुउद्देशीय विमान भारतीय वायुसेना के लिए इसलिए भी आवश्यक हैं। यह जरूर है कि इसकी कीमत करीब 250 करोड़ से भी बहुत अधिक यानी करोड़ों में है। यह सोच लेना गलत होगा कि बहुउद्देशीय विमान पारंपरिक लड़ाकू विमानों की जरूरत पूरी कर देंगे।
अब देखना यह है कि वायुसेना इस संकट का सामना कैसे करती है। सबसे बड़ी चिंता कीमती विमान के साथ अति कुशल व प्रशिक्षित पायलट से हाथ धोने की है। उसकी भरपाई हो नहीं सकती। इसलिए इन मुद्दों पर विचार करना जरूरी है। बताया जाता है कि भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण हेतु 200 से अधिक विमानों की जरूरत है। फिर 126 मल्टी रोल युद्धक, सुखोई व राफेल विमानों के वायु सेना में पूरी तरह शामिल होने पर योग्य पायलटों की जरूरत होगी। अभी 83 तेजस विमानों की खरीद की प्रक्रिया जारी है।
 

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