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India and Border with Bangladesh
- पश्चिम बंगाल समेत देश के पांच पूवरेत्तर राज्यों में घुसपैठ एक बड़ी समस्या है। भारत-बांग्लादेश सीमा इन पांच राज्यों में 4036 किलोमीटर तक फैली हुई है।
- सिर्फ बंगाल के साथ बांग्लादेश की सीमा 2217 किलोमीटर तक है। चार हजार किलोमीटर से अधिक लंबी यह अंतरराष्ट्रीय सीमा जंगल, नदी-नाला व अन्य भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है।
- क्योंकि, करीब एक हजार किलोमीटर सीमा पर अब भी बाड़ नहीं लग सका है। ऐसे में उन खुली सीमाओं से घुसपैठ समेत तमाम तरह के देश विरोधी व गैरकानूनी गतिविधियां हो रही है। केंद्र की मोदी सरकार ने बांग्लादेश सीमा को पूरी तरह से सुरक्षित करने की बात बहुत पहले कही थी।
बार्डर सुरक्षा ग्रिड
इसे लेकर कार्य भी शुरू हुआ था लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है। इसीलिए अब केंद्र सरकार ने उग्रवाद प्रभावित राज्यों के लिए बने यूनीफाइड कमांड की तर्ज पर बांग्लादेश से सटे पूर्वी राज्यों में सीमापार से घुसपैठ रोकने के लिए बार्डर सुरक्षा ग्रिड गठित करने की नई पहल की घोषणा की है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कोलकाता में बंगाल समेत तीन पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्रियों व दो अन्य राज्यों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें पांचों राज्यों से जुड़े बांग्लादेशी सीमा पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने को लेकर विस्तार से चर्चा की। घुसपैठ व तस्करी, गैरकानूनी गतिविधियां बंद करने पर जोर दिया गया। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि बार्डर सुरक्षा ग्रिड में सर्विलेंस, सिस्टम, खुफिया एजेंसी, राज्य पुलिस, बीएसएफ और राज्यों व केंद्र की अन्य एजेंसी शामिल रहेंगी। इसके तहत फिजिकल बैरियर्स (फेंसिंग), नॉन-फिजिकल बैरियर्स (रडार, कैमरा, लेजर, नाइट विजन कैमरा) लगाए जाएंगे, जो राज्यों के मुख्य सचिव की निगरानी में सुरक्षा का काम देखेगा।
ऐसे में यह जरूरी है कि सीमा को चौकस रखा जाए। वहीं जाली नोटों, मादक पदार्थ, गाय , हथियार समेत कई तरह की तस्करी भी बांग्लादेश की सीमा से होती है। ऐसे में केंद्र सरकार ने जो निर्णय लिया है वह सही है। साथ ही जो बिना बाड़ वाले सीमा क्षेत्र है वहां पर तत्काल प्रभाव से लेजर, रडार, नाइट विजन कैमरे से निगरानी शुरू कराई जानी चाहिए। क्योंकि, चरमपंथी ताकतें बांग्लादेश के जरिए बड़ी गड़बड़ी कर सकते हैं