मुंबई पर 26/11 के आतंकी हमलों के बाद समुद्र के सीमावर्ती इलाकों को और सुरक्षित करने के लिए सरकार ने तट सुरक्षा योजना शुरू की थी. साल 2010 में शुरू इस योजना की भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने समीक्षा की है
Observation by CAG
- रिपोर्ट में इस योजना को अपने तय लक्ष्यों से मीलों दूर बताया गया है. साथ ही सीएजी ने यह भी कहा है कि कई जगहों पर तो इस योजना के लिए आवंटित रकम का आधा हिस्सा भी खर्च नहीं किया जा सका है.
- रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2010 में गृह मंत्रालय ने इस योजना के तहत 302 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इससे समुद्री सीमा की निगरानी के लिए 10 बड़े जहाज और 23 नावें खरीदी जानी थीं. इस खरीद प्रक्रिया को लेकिन सीएजी ने बेहद निराशाजनक बताया है. इसके मुताबिक संबंधित विभागों की खरीद प्रकिया शुरू करने में पांच साल लग गए. इसके लिए शुरुआती टेंडर ही जून 2016 में जारी किया गया. फिर दिसंबर 2017 में इस पर अंतिम निर्णय लिया गया.
- सीएजी ने आगे कहा है कि समय पर जहाज न खरीदे जाने से सुरक्षा निगरानी का काम प्रभावित हो रहा है. इसी योजना का उदाहरण देते हुए उसने कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन ने 32 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, लेकिन इस रकम में से अब तक सिर्फ 14 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके हैं.
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- तट सुरक्षा योजना का उद्देश्य देश के नौ राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों की समुद्री सीमा को और मजूबत करना है. सीएजी की यह रिपोर्ट तब आई है जब बीते हफ्ते ही खुफिया एजेंसियों ने गोवा पर आतंकी हमले की आशंका जताई है. इन एजेंसियों के मुताबिक आतंकवादी यह हमला मछुआरों के भेष में कर सकते हैं.