डेटा संरक्षण विधेयक को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-प्रतीक्षित डेटा सुरक्षा विधेयक पर आज मुहर लगा दी। सरकारी सूत्रों ने कहा कि विधेयक में पिछले मसौदे में शामिल सभी तरह के व्यक्तिगत डेटा के अनिवार्य संग्रह और इनके प्रसंस्करण की जरूरत से जुड़े प्रावधानों में ढील दी गई है। हालांकि सरकारी सेवाओं की योजना तैयार करने के उद्देश्य से कंपनियों के पास उपलब्ध डेटा के इस्तेमाल का भी प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक में डेटा दो श्रेणियों- संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा और अति महत्त्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा- में विभाजित किए गए हैं। संवेदनशील डेटा में पासवर्ड, वित्तीय सूचनाएं, स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां, यौन अभिरुचि, शारीरिक जानकारियां, जीन से जुड़ी सूचनाएं, जाति या प्रजाति आदि शामिल हैं। अति महत्त्वपूर्ण जानकारियों की परिभाषा सरकार समय-समय पर तय करती रहेगी।
सभी कंपनियों के लिए लोगों की महत्त्वपूर्ण जानकारियां देश में ही संग्रहित करनी होगी। हालांकि वे जिस व्यक्ति का डेटा है उसकी इजाजत लेकर विदेश में इन्हें भेज सकती हैं। सूत्र ने कहा कि विधेयक पर संसद की मुहर लगने के बाद इनका इस्तेमाल केवल कानून के तहत परिभाषित कार्यों के लिए ही किया जा सकेगा।
विधेयक में समाहित प्रावधानों से ऐसा प्रतीत होता है कि भारत में सभी व्यक्गित जानकारियों की एक प्रति रखने को लेकर कुछ रियायत दी गई है। सूत्र ने कहा,'सरकार के पास डेटा संग्राहकों को विशेष उद्देश्यों जैसे सेवाओं में सुधार, नीति निर्धारण, राहत कार्य आदि के लिए, जानकारियां साझा करने के लिए कह सकती है।'
गैर-व्यक्तिगत जानकारियों से जुड़े सभी दूसरे पहलुओं का प्रबंधन इन्फोसिस के सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद विधेयक को मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही पेश किया जा सकता है। विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर लगने वाले जुर्माने में कोई बदलाव नहीं किया गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो अगर कोई कंपनी विधेयक में वर्णित प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन करती है तो उसे 15 करोड़ रुपये तक या अपने वैश्विक राजस्व का 4 प्रतिशत तक जुर्माना देना होगा। छोटे-मोटे उल्लंघनों के लिए बतौर जुर्माना कंपनी को 5 करोड़ रुपये या वैश्विक राजस्व का 2 प्रतिशत रकम का भुगतान करना होगा।
विधेयक के दायरे में सोशल मीडिया कंपनियां भी आएंगी। इन कंपनियों को अपने उपयोगकर्ताओं की पहचान का तरीका मुहैया कराना होगा। एक सूत्र ने कहा, 'प्रावधान के तहत किसी सोशल मीडिया कंपनी को अपने प्लेटफॉर्म पर यूजर को खुद को सत्यापित करने का विकल्प देना होगा।हालांकि यह किसी व्यक्ति का अपना निर्णय होगा कि वह सत्यापित होना चाहता है या नहीं।'