भारतीय सेना दुनिया की सबसे ताक़तवर सेनाओं में गिनी जाती है, लेकिन हथियारों के मोर्चे पर उसकी हालत ठीक नहीं लगती
- सेना के पास बुनियादी आधुनिक हथियार भी नहीं हैं. अख़बार के मुताबिक़ सेना की लड़ाकू टुकड़ियों के पास असॉल्ट राइफ़ल व स्नाइपर गन से लेकर हल्की मशीन गन और नज़दीकी लड़ाइयों में इस्तेमाल होने वाली कारबाइन (सीक्यूबी) तक की भारी कमी है.
- बीते एक दशक के दौरान दूसरे देशों से हथियार मंगाने से संबंधित परियोजनाएं बार-बार रद्द हुई हैं. दूसरी तरफ विकल्प के रूप में विकसित किए गए स्वदेशी हथियार कसौटी पर खरे उतरने में विफल रहे हैं.
- छोटे हथियारों के आने में देरी को लेकर पिछले हफ़्ते सेना के कमांडरों के बीच बातचीत हुई थी. इसमें सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों से कहा कि उन्हें (हथियार) उपलब्ध कराने से संबंधित प्रक्रिया पर ध्यान देकर उसमें संतुलन लाने की ज़रूरत है. सूत्रों का कहना है कि सेना को आधुनिक पीढ़ी की आठ लाख 18 हज़ार 500 असॉल्ट राइफ़लों, चार लाख 18 हज़ार 300 सीक्यूबी, 43 हज़ार 700 हल्की मशीनगनों और साढ़े पांच हज़ार से अधिक स्नाइपर राइफ़लों की ज़रूरत हैं. उन्होंने बताया कि इनमें वायु और नौ सेना के हथियार भी शामिल हैं.
भारतीय सेना के पास हथियार और गोला-बारूद की कमी कोई नई खबर नहीं है. बीते जुलाई में ही सीएजी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लड़ाई शुरू होने की हालत में सेना का गोला-बारूद महज 10 दिन ही चल पाएगा. संसद में रखी गई इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सेना मुख्यालय ने 2009 से 2013 के बीच खरीदारी की जो प्रक्रियाएं शुरू कीं, उनमें अधिकतर जनवरी 2017 तक लंबित थीं.