बेरुखी का शिकार पर्यटन क्षेत्र

छ: दिन पहले कंबोडिया जाना हुआ। वहां सिएम रीप अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शानदार वेशभूषा वाले एक गाइड ने मेरा स्वागत किया। वह अंग्रेजी में भी पारंगत निकला। कंबोडिया के इतिहास, भूगोल, संस्कृति और धार्मिक परंपराओं पर उसकी जानकारी ने मुङो बहुत प्रभावित किया। उससे भी अधिक उसके सभ्य व्यवहार ने मेरे मन को मोह लिया। अगले तीन दिनों तक मैंने इस मनमोहक पर्यटन स्थल के विभिन्न स्थानों का आनंद लिया। मुङो महसूस हुआ कि कंबोडिया ने टूरिस्ट गाइड के रूप में स्वरोजगार का एक सम्मानजनक पेशा विकसित किया है। सिएम रीप स्थित अंकोरवाट एक विशालकाय बौद्ध मंदिर परिसर है। उत्तरी कंबोडिया के इस हिस्से में मौजूद इस मंदिर का निर्माण बारहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में एक हंिदूू मंदिर के रूप में हुआ था। वास्तुशिल्प के इस अप्रतिम केंद्र में हंिदूू मान्यताओं से जुड़ी तस्वीरों की भरमार है। वास्तुशिल्प के ये डिजाइन निश्चित रूप से भारत से प्रेरित हैं। करीब चार सौ एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैले इस परिसर को दुनिया में सबसे बड़ा धार्मिक स्थल माना जाता है। हॉलीवुड की लोकप्रिय फिल्म ‘टूंब राइडर’ के कुछ दृश्यों की शूटिंग यहां हुई थी। इसके बाद दुनिया का ध्यान इसकी ओर आकृष्ट हुआ। अंकोरवाट को विश्व विरासत स्थल का दर्जा मिला हुआ है। इस परिसर के संरक्षण को लेकर सबका ध्यान गया। मंदिर के कुछ हिस्सों का व्यापक जीर्णोद्धार होना है। इसके लिए वित्तीय संसाधन एवं तकनीक की दरकार है। भारत, चीन, जापान और जर्मनी जैसे देश इस मुहिम में मदद कर रहे हैं ताकि मंदिर के मूल स्वरूप और उसके वैभव को पुनस्र्थापित किया जा सके।

इसके उलट अगर भारत की तस्वीर देखें तो जब भारत सरकार ने कुछ पर्यटन केंद्रों के संरक्षण के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया तो इस पर खूब हंगामा किया गया। सरकार ने कुछ वर्षो के लिए लीज के आधार पर यह व्यवस्था की। इसका मकसद उन विरासत स्थलों की मदद के लिए निजी क्षेत्र को जोड़ना था, जो स्थल वक्त के थपेड़ों से अपनी आभा खो रहे थे और जिन्हें वास्तव में अच्छे रखरखाव की दरकार थी। तब कुछ एनजीओ और निहित स्वार्थी समूहों ने इतना बखेड़ा खड़ा कर दिया मानों सरकार ने इन स्थलों को उन्हें उपहार में दे दिया या बेच दिया हो। अगर आज हंपी पर्यटन मानचित्र पर वापस उभरा है तो एक बड़ी हद तक इसका श्रेय जेएसडब्ल्यू स्टील के प्रवर्तक सज्जन जिंदल और संगीता जिंदल को जाता है। उन्होंने इसके लिए न केवल अपना समय और धन खर्च किया, बल्कि अपने संयंत्र की निजी हवाई पट्टी को वाणिज्यिक विमानों के लिए इस्तेमाल की अनुमति भी दी। इससे विजयनगर की प्राचीन राजधानी जीवंत हो उठी।

पर्यटन से होने वाले फायदों पर गौर किया जाना चाहिए। कंबोडियन न्यूज ने सिएम रीप के प्रांतीय पर्यटन विभाग के हवाले से जानकारी दी कि वर्ष 2018 के पहले नौ महीनों के दौरान सिएम रीप में 44,50,732 पर्यटक आए। इससे 4.375 अरब डॉलर की कमाई हुई। सिएम रीप एक छोटा शहर है जहां की आबादी बमुश्किल दो लाख है, लेकिन यहां बीस से अधिक पांच सितारा होटल हैं। यहां पर्यटन के जरिये सबसे अधिक रोजगार मिले हुए हैं। करीब 90 प्रतिशत आर्थिक गतिविधियां पर्यटन पर केंद्रित हैं। अंकोरवाट विदेशी पूंजी अर्जित करने वाला सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। यह सिएम रीप और कंबोडिया की जीडीपी में अहम योगदान दे रहा है।

कंबोडिया में टूरिस्ट गाइड बनने के लिए लाइसेंस की दरकार होती है। यह लाइसेंस परीक्षा पास करने के बाद ही मिलता है। परीक्षा की प्रक्रिया के दौरान आवेदक के ज्ञान के अलावा इतिहास, भूगोल, संस्कृति एवं पर्यटन स्थलों की सटीक जानकारियों को कसौटी पर कसा जाता है। किसी एक विदेशी भाषा में महारत भी अनिवार्य है। लाइसेंस हासिल होने के साथ ही यह सिलसिला पूरा नहीं होता। उसका नवीनीकरण भी कराना होता है। पर्यटकों से अनुरोध किया जाता है कि वे अपने गाइड को रेटिंग दें। यह उनके मेहनताने को बढ़ाने में काम आती है। केवल सिएम रीप में ही सक्रिय दस हजार से अधिक टूरिस्ट गाइड आधा दर्जन से अधिक विदेशी भाषाओं में सिद्धहस्त हैं। ये स्वतंत्र पेशेवर हैं जो अपनी मर्जी से काम करते हैं। वे विभिन्न ट्रैवल एजेंसियों और टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन से जुड़े होते हैं जो उनसे संबंधित जानकारियां सहेजकर रखती हैं। इनमें उनकी रेटिंग का भी उल्लेख रहता है। एक सम्मानजनक जीवन के लिए ये गाइड पर्याप्त कमा लेते हैं। अधिकांश गाइड स्नातक हैं। उनके लिए एक यूनिफॉर्म भी है।

वहां पर्यटन स्थलों पर इंतजाम भी बहुत अच्छे हैं। टिकटों की कमाई में कोई सेंध न लगे, इसे रोकने के लिए टिकट पर्यटक की फोटो के साथ जारी किए जाते हैं। इसमें श्रेणी के हिसाब से ही शुल्क लिया जाता है जिसमें प्रवास की अवधि एक पैमाना होती है कि सैलानी को यह कितने दिन के लिए चाहिए। अमूमन एक से तीन दिनों के टिकट का चलन है। पर्यटक के हवाई अड्डे पर आगमन, परिवहन, आवास, खानपान, खरीदारी, मनोरंजन और सुरक्षा की पूरी प्रक्रिया बेहद पेशेवर है।

इसकी तुलना में यदि भारत को देखें तो उसका भौगोलिक आकार कंबोडिया के दस गुने से भी अधिक है। आबादी भी 75 गुना ज्यादा है और संभवत: कंबोडिया की तुलना में हजारों आकर्षक पर्यटन स्थल हैं। उनमें से कई तो अति प्राचीन हैं। इनके जरिये निश्चित रूप से लाखों पेशेवर गाइडों के रूप में स्वरोजगार के व्यापक अवसर सृजित किए जा सकते हैं।

भारत के पर्यटन क्षेत्र में जीडीपी के लगभग पांच प्रतिशत के बराबर योगदान की संभावनाएं हैं। इससे अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है तो लाखों-करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल सकता है। अफसोस की बात यही है कि इन अवसरों को भुनाने की दिशा में हमारी कोशिशें उतनी दमदार नहीं हैं। इनमें पर्यटन को एक उद्योग के रूप में विकसित करने का प्रयास नहीं होता। हमारे देश में पर्यटन को एक उद्योग बनाने की दिशा में कंबोडिया जरूर बड़ी सीख दे सकता है।

 

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