करीब दो महीने के लॉकडाउन के बाद श्रीलंका में भी सामान्य जनजीवन और निजी कारोबार और सरकारी कार्यालयों को फिर से खोला जा चुका है. प्रशासन के कहा है कि कोविड-19 पर नियंत्रण पा लिया गया है. करीब 2.15 करोड़ की आबादी वाले देश में कोरोना के केवल 960 मामलों की पुष्टि हुई और नौ लोगों की जान गई. महामारी से निपटने में इस सफलता के पीछे कई कारण गिनाए रहे हैं:
- बड़े पैमाने पर हुई टेस्टिंग
- जल्दी लॉकडाउन लागू किए जाने के कारण भी श्रीलंका में कोरोना संकट हल्का रहा
- श्रीलंका में कोविड-19 के आधे से ज्यादा मामले 20 से 60 आयु वर्ग के लोगों में मिले. ये थोड़ा युवा लोग हैं जिनमें बीमारी के बहुत गंभीर लक्षण दिखने की संभावना कम होती है. श्रीलंका में लॉकडाउन बहुत पहले शुरू हो गया था. इसलिए ज्यादातर मामलों में हल्के लक्षण दिखने का यह भी कारण हो सकता है
WHAT TO LEARN FROM SRILANKA
- श्रीलंका उन देशों में शामिल है जहां कम कीमत पर अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं. देश में कई दशकों से स्वास्थ्य व्यवस्था में निवेश करने और बीमारियों पर खर्च को कम रखने की परंपरा रही है. श्रीलंका के ज्यादातर निवासियों के घर के तीन किलोमीटर के दायरे में कोई सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा केंद्र मिलेगा. सन 2000 से देश के प्रति 1000 निवासियों पर औसतन तीन हॉस्पिटल बेड का इंतजाम है, जो कि इससे अमीर देशों से कहीं बेहतर है.
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निगरानी की व्यवस्था: देश ने संक्रामक और गैरसंक्रामक बीमारियों के साथ अपने पुराने अनुभव से काफी सीखा है. बीमारों की निगरानी की पहले से स्थापित सार्वजनिक व्यवस्था कोरोना काल में भी काफी काम आई. पहला मामला सामने आने के समय से ही देश में किसी भी संभावित पीड़ित की ट्रैकिंग शुरू हो गई थी.
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