संयुक्त राष्ट्र (United Nation) के प्रतिबंधों के बावजूद विश्व-युद्ध की ओर धकेलने पर उतारू उत्तरी कोरिया

North Korea  has disapproved UN ban and continued to experiment nuclear weapons and pushing world towards war like situation.

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द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर अमरीका और सोवियत रूस ने कोरिया को दो भागों में बांट दिया और 1948 में इस देश की दो अलग-अलग सरकारें बन गईं। कोरियन लड़ाई (1950-53) ने दोनों देशों में शत्रुता की खाई को और चौड़ा कर दिया। उत्तरी कोरिया के वर्तमान सनकी शासक किम-जोंग-उन के दादा किम-इल-सुंग इस देश के पहले शीर्षस्थ नेता थे।

Nort Korea and its position in the world

आर्थिक दृष्टि से यह विश्व के कम सम्पन्न देशों में से एक है और जापान, अमरीका तथा अन्य देशों को अपना दुश्मन और चीन को अपना दोस्त मानता है।
 खबरों के अनुसार उत्तरी कोरिया अगले दो वर्षों में अमरीका पर हमला करने की स्थिति में हो सकता है जिससे निपटने के लिए अमरीका और दक्षिणी कोरिया मिल कर बल प्रयोग कर सकते हैं।
दक्षिणी कोरिया और अमरीका के बीच एक सैन्य सांझेदारी है जिसके अंतर्गत दक्षिणी कोरिया की सुरक्षा के लिए अमरीकी सैनिक इस इलाके में तैनात हैं। उत्तरी कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रमों के कारण अमरीका, जापान तथा अन्य पश्चिमी देशों के लिए सिरदर्द बना हुआ है और अपने सीमित साधनों के बावजूद लगातार परमाणु परीक्षण करता आ रहा है।
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इसी श्रृंखला में गत 3 सितम्बर को उसने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया जिससे सारी दुनिया में उसके विरुद्ध रोष भड़क उठा है। इस पर सुरक्षा परिषद ने गत सोमवार को सर्वसम्मति से उत्तरी कोरिया का कपड़ा निर्यात और कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2006 के बाद से उ. कोरिया पर लगाया गया यह नौवां प्रतिबंध है।

इस पर आग बबूला हुए उत्तरी कोरिया के सनकी तानाशाह किम-जोंग-उन ने 14 सितम्बर को धमकी दी कि वह जापान को डुबो देगा और अमरीका को जला कर खाक कर देगा।

North Korea and opposition to Security councils ban

उत्तरी कोरिया ने सुरक्षा परिषद द्वारा उस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों का कड़ा विरोध करते हुए कहा, ‘‘हमारे देश पर प्रतिबंध लगाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले अमरीका को पीट-पीट कर मार देना चाहिए।’’ ‘‘जापान भी अमरीका की हां में हां मिला रहा है और उसके इशारों पर नाच रहा है। परमाणु हमला करके जापान के 4 द्वीपों को समुद्र में डुबो दिया जाना चाहिए। हमारे नजदीक जापान के बने रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।’’

अभी इस चेतावनी की स्याही सूखी भी नहीं थी कि उत्तरी कोरिया ने अमरीका और संयुक्त राष्ट्र सहित विश्व भर के देशों की उपेक्षा करते हुए 15 सितम्बर को सुबह 6 बजकर 57 मिनट पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के बावजूद एक बैलिस्टिक मिसाइल दाग दिया जो जापान से होकर गुजरने के बाद प्रशांत महासागर में जाकर गिरा

जहां इस संबंध में दक्षिणी कोरिया ने अब उत्तरी कोरिया के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत न करने का निर्णय किया है वहीं अमरीका ने चीन और रूस से इस संबंध में कड़े पग उठाने का आग्रह करते हुए प्योंगयांग के विरुद्ध प्रत्यक्ष तौर पर कार्रवाई करने की अपील की है तथा चीन से कहा है कि उसे उत्तरी कोरिया के लापरवाही भरे मिसाइल प्रक्षेपणों के विरुद्ध अपनी असहिष्णुता व्यक्त करनी चाहिए।

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने उत्तरी कोरिया के इस पग को उकसावे की कार्रवाई बताते हुए कहा है कि ‘‘इसे अब और नहीं सहा जा सकता। उत्तरी कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों की धज्जिया उड़ाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उत्तरी कोरिया को सबक सिखाने के लिए तुरंत प्रतिबंध लागू करने का समय आ गया है।’’ इसी बीच संयुक्त राष्ट्र ने भी इस मुद्दे पर अपनी आपात बैठक बुला ली है।


आज जबकि विश्व पहले ही अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद जैसी भयानक समस्याओं से जूझ रहा है, उत्तरी कोरिया द्वारा अमरीका, जापान और दक्षिणी कोरिया के विरुद्ध युद्ध के उन्माद में की जा रही कार्रवाइयां तत्काल रोकने की आवश्यकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तरी कोरिया की ये गतिविधियां विश्व को तीसरे युद्ध की ओर तेजी से धकेल रही हैं।

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