क्या है गिलगित-बाल्टिस्तान

क्या है गिलगित-बाल्टिस्तान की कहानी?

  • भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा विवाद जम्मू कश्मीर के ऊपर है. पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के पश्चिमी सिरे पर गिलगित और इसके दक्षिण में बाल्टिस्तान स्थित है. यह इलाका 4 नवंबर 1947 के बाद से ही पाकिस्तान के प्रशासन में है.
  • भारत की आजादी से पहले गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू कश्मीर रियासत का ही हिस्सा था. लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान के इलाके को अंग्रेजों ने वहां के महाराजा से साल 1846 से लीज पर ले रखा था. ये इलाका ऊंचाई पर स्थित है, ऐसे में यहां से निगरानी रखना आसान था.
  • यहां गिलगित स्काउट्स नाम की सेना की टुकड़ी तैनात थी. जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तो इसे जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को वापस कर दिया गया. हरि सिंह ने ब्रिगेडियर घंसार सिंह को यहां का गवर्नर बनाया. गिलगित स्काउट्स वहीं तैनात रही. उस समय इस फौज के अधिकांश अधिकारी अंग्रेज ही हुआ करते थे.

1947 में जब कश्मीर पर पाकिस्तानी फौज ने हमला कर दिया तो 31 अक्टूबर को महाराजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए. इस तरह गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का हिस्सा बन गया. लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान में मौजूद फौज के अंग्रेज अधिकारियों ने इस समझौते को नहीं माना. वहां फौज ने गवर्नर घंसार सिंह को जेल में डाल दिया. वहां के अंग्रेज फौजी अधिकारियों ने पाकिस्तान के साथ गिलगित-बाल्टिस्तान को मिलाने का समझौता कर लिया. 2 नवंबर 1947 को गिलगित में पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया गया. पाकिस्तान की सरकार ने सदर मोहम्मद आलम को यहां का नया प्रशासक नियुक्त कर दिया. यह हिस्सा पाकिस्तान के प्रशासन में चला गया. 1949 में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तानी सरकार के बीच हुए कराची समझौते के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान को सौंप दिया गया.

1970 में इसे अलग प्रशासनिक इकाई का दर्जा दे दिया गया और इसका नाम नॉर्दन एरिया रखा गया. 2007 में वापस इसका नाम बदलकर गिलगित-बाल्टिस्तान कर दिया गया. पाकिस्तान में चार राज्य हैं. इनके अलावा पाक प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान को स्वायत्त इलाके का दर्जा दिया गया है.

2009 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने गिलगित-बाल्टिस्तान एम्पॉवरमेंट एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर 2009 जारी किया. इस कानून के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान में एक विधानसभा बनाने और गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल बनाने के आदेश दिए गए. गिलगित-बाल्टिस्तान में मुख्यमंत्री और गवर्नर दोनों होते हैं. किसी भी मामले का अंतिम फैसला लेने का अधिकार गवर्नर के पास सुरक्षित है. हालांकि सारे जरूरी फैसले लेने का अधिकार गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल के पास है. इसके अध्यक्ष पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते हैं. 2009 के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान में तीन मुख्यमंत्री रहे हैं.  2009 के सरकारी आदेश को 2018 में बदला गया और गिलगित-बाल्टिस्तान की विधानसभा को कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए. गिलगित-बाल्टिस्तान की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 30 जून 2020 को खत्म हो रहा है. इसके 60 दिनों के अंदर यहां चुनाव करवाने होंगे.

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पाकिस्तान में चुनाव होने से पहले एक कार्यकारी सरकार का गठन होता है. यही कार्यकारी सरकार अपनी देखरेख में चुनाव करवाती है. 2009 से गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव शुरू हए लेकिन यहां चुनाव से पहले कभी कार्यकारी सरकार का गठन नहीं होता था. 30 अप्रैल को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली सात न्यायाधीशों के एक बेंच ने अपने आदेश में यहां 2017 के चुनाव कानून के तहत संबंधित कानून बदल कर कार्यकारी सरकार बनाने और चुनाव करवाने के आदेश दिए गए हैं. इस फैसले में 2018 में गिलगित-बाल्टिस्तान को दी गई कई छूटों में भी कटौती की गई है. अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने कहा है कि बदलाव राष्ट्रपति के अध्यादेश से किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में एक फैसले में गिलगित बाल्टिस्तान में लोगों को अधिकार देने से संबंधित गवर्नेंस सुधार कानून संसद में पास कराने को कहा था, जिस पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है. इसमें वहां चुनाव से पहले कार्यकारी सरकार बनाने का प्रावधान होता.

 

REFERENCE: dw.com

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