आईएएस बनने की रणनीति

UPSC IAS preperation strategy and time management tips

जैसा कि सिविल सेवा परीक्षा सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है और इस परीक्षा में सफलता हेतु अभ्यर्थी में योग्यता के साथ-साथ पर्याप्त धैर्य की आवश्यकता होती है । अभ्यर्थी को तैयारी शुरू करने से पहले इस बात का स्वयं से आंकलन करना चाहिए कि क्या उसमे इतनी योग्यता और धैर्य है कि इस मैराथन रूपी परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकेगा या नहीं?


परीक्षा हेतु रणनीति:
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि सिविल सेवा परीक्षा के लिए 2 या 3 वर्ष का समय पर्याप्त होता है लेकिन अभ्यर्थी को यदि विषयवस्तु की आधारभूत समझ नहीं है तो इस परीक्षा में कभी भी सफलता नहीं मिल सकती । स्नातक शिक्षा के दौरान छात्र विषयबस्तु के आधारभूत समझ को बढ़ा सकता है । इसके लिए NCERT की किताबों का अध्ययन लाभदायक होगा । NCERT की किताबों का कोई विकल्प नहीं हैँ, इसके द्वारा छात्र अपनी आधारभूत समझ के साथ अपनी विश्लेषणात्मक क्षमता और भाषायी कौशल का भी विकास कर सकता है ।


सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हेतु समसामयिक मुद्दो की जानकारी होना आवश्यक है। छात्र यदि स्नातक से एक राष्ट्रीय समाचार पत्र जैसे की - द हिन्दू ,पढ़ने की आदत विकसित कर ले तो, समसामयिक मुद्दो की जानकारी तो होगी ही परीक्षा में सफलता की संभावना भी बढ़ जाएगी । साथ ही बीबीसी पर न्यूज़ बुलेटिन सुनना भी परीक्षा के दृष्टिकोण से लाभदायक होगा ।

इससे प्रॉसेस करीब 3 महीने पहले खत्म किया जा सकता था। 

बदलना होगा तैयारी का ट्रेंड फिलहाल नए शेड्यूल के हिसाब से कैंडीडेट्स को अपने तैयारी का पैटर्न बदलना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रीलिम्स के बाद मेन्स की तैयारी की आदत अब भारी पड़ेगी। कैंडीडेट को चाहिए कि मेन्स की तैयारी एक साल पहले से ही शुरू कर दें। उसके साथ ही प्रीलिम्स की भी तैयारी करें। इसका फायदा यह होगा कि प्रीलिम्स और मेन्स के बीच का जो 3 महीने का समय मिलेगा, उसका इस्तेमाल रिवीजन के लिए कर सकेंगे। 

प्रीलिम्स को मेन्स से अलग न देखें बदले टाइम शेड्यूल में एग्जाम को रिजल्ट में और रिजल्ट को सक्सेस में बदलना आईएएस टॉपर्स से बेहतर कौन बता सकता है।

2012 में 49वीं रैंक हासिल करने वाले ऋषि गर्ग से जानें प्लानिंग के फंडे: 

साथ शुरू करें तैयारी: कैंडीडेट के लिए सबसे जरूरी है कि वह प्रीलिम्स को मेन्स से अलग करके न देखे। उसकी तैयारी भी मेन्स के साथ ही होनी चाहिए। प्रीलिम्स में 2 पेपर होते हैं। एक जरनल स्टडीज का और दूसरा ऐप्टिट्यूड का। जनरल स्टडीज की तैयारी आप अगर विस्तार से करते हैं तो उससे प्रीलिम्स भी कवर हो जाएगा। जब आपका प्रीलिम्स नजदीक आ जाए तो उस समय ऐप्टिट्यूड टेस्ट पर फोकस करें। ऐप्टिट्यूड की मैथ्स और इंग्लिश का नेचर सामान्यता 10वीं के स्टैंडर्ड का होता है। ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें। क्वांटम, डेटा अनैलेसिस और इंग्लिश पर कमांड प्रैक्टिस से आएगी। पहले पेपर का वह पोर्शन टच करें जिसमें आपकी स्ट्रैंथ है। 

जीएस बनेगा डिसाइडिंग फैक्टर: सिविल सर्विसेज का जो नया पैटर्न है उसमें जनरल स्टडीज अब डिसाइडिंग फैक्टर है। मेन्स में जीएस के चार पेपर होने हैं। इसलिए इसकी तैयारी पर खास ध्यान दें। तैयारी करने से पहले पेपर और क्वैश्चन का पैटर्न समझना सबसे जरूरी है। पिछले सालों के क्वैश्चन बैंक से इससे मदद मिल सकती है। क्वैश्चन ओपनियन और एनालसिस से जुड़े पूछे जाते हैं। आप अपना कांसेप्ट क्लियर रखें। एग्जामनर आपके नॉलेज के साथ ही थिंकिंग प्रॉसेस को भी चेक करता है। जनरल स्टडीज का सिलेबस काफी बड़ा है। इसमें एथिक्स, इमोशनल एंटलिजेंस जैसे पार्ट बढ़े हैं। 

इसलिए हमें वरायटी ऑफ टॉपिक्स पर फोकस करना होगा। ऐसे में तैयारी केवल बुक बेस्ड नहीं चलेगी। न्यूज पेपर और इंटरनेट से मदद लेनी होगी। करेंट अफेयर्स, वर्ल्ड हिस्ट्री, साइंस और टेक्नोलॉजी के लेटेस्ट ट्रेंड की तैयारी में इसका अधिक फायदा होगा। एकेडमिक रिफार्म कमेटीज की रिपोर्ट भी जरूर देख लें। तीन महीने रिवीजन के : प्रीलिम्स के बाद के तीन महीने नया टॉपिक पढ़ने के बजाय रिवीजन पर किया जाए तो ज्यादा अच्छा है। जो आपका आप्शनल सब्जेक्ट है उसमें बहुत कुछ चेंज होने वाला नहीं है। इसकी तैयारी आपकी पहले से ही होगी। इसलिए इस पर कम और जनरल स्टडीज पर अधिक समय दें। जनरल स्टडीज में जो आपने पहले तैयारी की है उसको लेटेस्ट डिवलपमेंट से लिंक करे उसे कंटमप्ररी बनाने की कोशिश करें। इसके लिए रिव्यूज, करेंट अफेयर्स पर ध्यान दें। सबसे अहम बात है टाइम मैनेजमेंट।

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