सार्वजनिक तेल कंपनियों को सप्लारई के लिए इथनॉल मूल्य की समीक्षा को मंजूरी

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केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने इथनॉल युक्‍त पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम चलाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा इथनॉल खरीद व्‍यवस्‍था बनाने – सार्वजनिक तेल कंपनियों को सप्‍लाई के लिए इथनॉल मूल्‍य की समीक्षा को मंजूरी दे दी है।

सीसीईए ने अब इथनॉल आपूर्ति अवधि 01 दिसंबर, 2018 से 30 नवंबर, 2019 के दौरान आगामी गन्‍ना सत्र 2018-19 के लिए निम्‍नलिखित स्‍वीकृति दी है:

  • सी - भारी शीरे से बने इथनॉल का कर रहित मील मूल्‍य 43.70 रूपये प्रति लीटर निर्धारित करना (वर्तमान मूल्‍य 40.85 रुपये से) । इसके अतिरिक्‍त जीएसटी तथा परिवहन शुल्‍क देय होंगे।
  • बी – भारी शीरे से निकाले गए इथनॉल तथा गन्‍ना रस का कर रहित मील मूल्‍य 47.49 रुपये प्रति लीटर निर्धारित करना। इसके अतिरिक्‍त जीएसटी तथा परिवहन शुल्‍क देय होंगे।
  • गन्‍ना सत्र 2018-19 के लिए इथनॉल का मूल्‍य अनुमानित एफआरपी पर आधारित है। इसलिए इसका संशोधन पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा सरकार की ओर से घोषित वास्‍तविक उचित तथा लाभकारी मूल्‍य के अनुसार किया जाएगा।
  • इथनॉल आपूर्ति वर्ष 2019-20 के लिए पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मूल्‍य शीरे तथा गन्‍ने के एफआरपी से बनी चीनी की मानक लागत के अनुसार संशोधित किया जाएगा।
  • सभी डिस्‍टिलरी योजना का लाभ ले सकेंगी। आशा है कि बड़ी संख्‍या में डिस्टिलरी ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथनॉल सप्‍लाई करेंगी। इथनॉल आपूर्ति करने वालों को लाभकारी मूल्‍य देने से गन्‍ना किसानों की बकाया राशि कम करने में मदद मिलेगी और इस तरह गन्‍ना किसानों की कठिनाइयां दूर होंगी।
  • ईबीपी (Ethanol Blending Programme)  कार्यक्रम के लिए इथनॉल की उपलब्‍धता काफी बढ़ने की आशा है। यह वृद्धि सी – भारी शीरा आधारित इथनॉल की ऊंची कीमत तथा बी – भारी शीरे से निकाले गए तथा गन्‍ने के रस से निकाले गए इथनॉल की खरीद में मदद मिलेगी। पेट्रोल में अधिक मात्रा में इथनॉल मिलाने के अनेक लाभ हैं। इससे आयात निर्भरता कम होगी, कृषि क्षेत्र को समर्थन मिलेगा, पर्यावरण अनुकूल ईंधन मिलेगा, प्रदूषण कम होगातथा किसानों को अतिरिक्‍त आय होगी।
  • सरकार 2014 से इथनॉल का प्रशासित मूल्‍य अधिसूचित कर रही है। इस निर्णय से पिछले चार वर्षों में इथनॉल की सप्‍लाई में काफी सुधार हुआ है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा इथनॉल की खरीद में वृ‍द्धि हुई है। इन कंपनियों ने आपूर्तिवर्ष 2013-14 में 38 करोड़ लीटर इथनॉल की खरीद की जो 2017-18 में बढंकर 140 करोड़ लीटर हो गई।

इस गन्‍ना सत्र में गन्‍ना त‍था गन्‍ना उत्‍पाद में वृद्धि हुई है, जिससे गन्‍ना का भाव कम हुआ है। इसके परिणामस्‍वरूप गन्‍ना उद्योग द्वारा किसानों को किए जाने वाले भुगतान की कम क्षमता के कारण गन्‍ना किसानों की बकाया राशि बढ़ी है। सरकार ने किसानों की बकाया राशि को कम करने के लिए अनेक निर्णय लिए हैं।चीनी मीलों/डिस्टिलरी के राजस्‍व प्राप्ति का एक हिस्‍सा इथनॉल है। इसलिए सरकार ने सी – भारी शीरे से तैयार इथनॉल के मूल्‍य की समीक्षा करने का निर्णय लिया है।

सरकार पहली बार बी – भारी शीरा तथा गन्‍ना रस मूल्‍य निर्धारित कर रही है। इससे किसानों को भुगतान करने की गन्‍ना उद्योग की क्षमता पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा तथा ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथनॉल की उपलब्‍धता बढ़गी। यह मई, 2018 के दौरान सरकार द्वारा घोषित राष्‍ट्रीय जैवईंधन नीति – 2018 के अनुरूप है, जिसमें इथनॉल उत्‍पादन के लिए कच्‍ची सामग्री के दायरे को बढ़ाया गया है।

पृष्‍ठभूमि:

सरकार ने 2003 में पायलट आधार पर इथनॉल युक्‍त पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम प्रारंभ किया था। बाद में वैकल्पिक तथा पर्यावरण अनुकूल ईंधनों के उपयोग को प्रोत्‍साहित करने के लिए इसका विस्‍तार अधिसूचित 21 राज्‍यों तथा 4 केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य ऊर्जा आवश्‍यकताओं के लिए आयात निर्भरता को कम करना तथा कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना है।

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