विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मूलभूत परिवर्तन के लिए कई कदम उठाए हैं। समावेशी विकास के संदर्भ में डीबीटी ने कई कार्यक्रमों और मिशनों की घोषणा की है। डीबीटी ने 'उत्तर पूर्वी क्षेत्र बायोटेक्नोलॉजी प्रोग्राम मैनेजमेंट सेल (एनईआर-बीपीएमसी)' का गठन किया है। इसका वार्षिक निवेश 180 करोड़ रुपये है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी शोध को गति प्रदान करेगा।
केन्द्रीय विज्ञान और तकनीकी, पृथ्वी विज्ञान और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए तीन प्रमुख पहलों की घोषणा की। डीबीटी ने यह फैसला लिया है कि वह प्रत्येक वर्ष अपने बजट का 10 प्रतिशत पूर्वोत्तर क्षेत्र को समर्पित करेगा।
1. फाइटो-फार्मा प्लांट मिशन :- यह 50 करोड़ रुपये का मिशन है जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय और लुप्त होने के खतरे को झेल रहे औषधीय पौधों का संरक्षण है।
2. ब्रह्मपुत्र जैव विविधता और जीवविज्ञान बोट (बी 4) :- यह एक प्रमुख पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट है। यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के सभी घटकों के विश्लेषण के लिए सुसज्जित प्रयोगशाला है। बी 4 में मिट्टी, पानी, पर्यावरण, पौधे व पशु जीवन, मानव स्वास्थ्य और कृषि घटक का विश्लेषण करने की क्षमता होगी।
3. फोल्डस्स्कोप के माध्यम से फ्रूगल माइक्रोस्कोपी:- कागज का एक पन्ना और लेंस जैसे सरल घटकों से बना एक माइक्रोस्कोप देश के बाकी हिस्सों के साथ, क्षेत्र से छात्रों और विज्ञान को जोड़ना एक उपकरण के रूप में काम कर रहा है जो क्षेत्र से छात्रों और विज्ञान को देश के बाकी हिस्सों के साथ जोड़ रहा है। विद्यालयों व कॉलेजों से कुल 525 आवेदन प्राप्त हुए हैं: विद्यालयों से 112, कॉलेजों से 357 और नागरिक वैज्ञानिकों से 56 । सभी आवेदकों को 4 लाख से 8 लाख के बीच सूक्ष्म अनुदान प्रदान किया जाएगा