केंद्र ने गैर वन क्षेत्रों में बांस की खेती को प्रोत्‍साहित करने के लिए भारतीय वन (संशोधन) अध्‍यादेश


     केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल में भारतीय वन (संशोधन) अध्‍यादेश, 2017 की घोषणा की  है जिससे कि गैर वन क्षेत्रों में उगाए गए बांस की को वृक्ष की परिभाषा के दायरे में लाए जाने से छूट मिले और इस प्रकार इसके आर्थिक उपयोग के लिए गिराने/पारगमन परमिट की आवश्‍यकता से छूट प्रदान की जा सके।
     बांस, हालांकि घास की परिभाषा के तहत आता है पर इसे भारतीय वन अधिनियम, 1927 कानूनी रूप से एक वृक्ष के रूप में परिभाषित किया गया है। 
     इस संशोधन के पहले, किसी वन एवं गैर वन भूमि पर उगाए गए बांस को गिराने /पारगमन पर भारतीय वन अधिनियम, 1927 ( आईएफए, 1927) के प्रावधान लागू होते थे। किसानों द्वारा गैर वन भूमि पर बांस की खेती करने की राह में यह एक बड़ी बाधा थी।
Benefit
     इस संशोधन का एक बड़ा उद्वेश्‍य किसानों की आय बढ़ाने तथा देश के हरित कवर में बढोतरी करने के दोहरे लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए गैर वन क्षेत्रों में बांस की खेती को प्रोत्‍साहित करना था
    यह संशोधन एवं इसके परिणामस्‍वरूप गैर वन क्षेत्रों में उगाए गए बांसों के वर्गीकरण में बदलाव से बांस क्षेत्र में बेहद आवश्‍यक एवं दूरगामी सुधार आएंगे।
    पूर्वोत्‍तर एवं मध्‍य भारत के किसानों एवं जनजातीय लोगों के लिए कृषि आय को बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ये संशोधन किसानों एवं अन्‍य लोगों को कृषि भूमि एवं कृषि वन मिशन के तहत अन्‍य निजी भूमियों पर पौधरोपण के अतिरिक्‍त, अवक्रमित भूमि पर अनुकूल बांस प्रजाति के पौधरोपण/ ब्‍लॉक बगान आरंभ करने के लिए प्रोत्‍साहित करेगा। यह कदम संरक्षण एवं सतत विकास के अतिरिक्‍त, किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्‍य के अनुरूप है।  
 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download