केंद्रीय प्रायोजित स्‍कीम (राज्‍य योजना) राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) को राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना-कृषि और संबंधित क्षेत्र पुनर्रुद्धार लाभकारी दृष्टिकोण (आरकेवीवाई-आरएएफटीएएआर) के रूप में जारी रखने को मंजूरी


 मंत्रिमंडल समिति ने केंद्रीय प्रायोजित राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना आरकेवीवाई को आरकेवीवाई-रफ्तार के रूप में तीन वर्षों अर्थात् 2017-18 से 2019-20 तक जारी रखने को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। इस योजना पर वित्‍तीय आवंटन 15,722 करोड़ रूपये का होगा, जिसका उद्देश्‍य किसान के प्रयासों को मजबूत बनाने, जोखिम के निवारण के माध्‍यम से कृषि के काम को आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद बनाने और कृषि व्‍यवसाय उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
आरकेवीवाई-आरएएफटीएएआर निधियां राज्‍यों को निम्‍नांकित माध्‍यमों से केंद्र और राज्‍यों के बीच 60:40 (8 पूर्वोत्‍तर राज्‍यों तथा तीन हिमालयी राज्‍यों के लिए 90:10) के अनुपात में अनुदान के रूप में उपलब्‍ध करायी जाएंगी।
(क) निम्‍नांकित क्रियाकलापों के लिए अनुदान के रूप में राज्‍यों को आवंटित किए जाने वाले वार्षिक परिव्‍यय के 70 प्रतिशत भाग सहित नियमित आरकेवीवाई-आरएएफटीएएआर (आधारभूत सुविधा परिसंपत्‍त‍ि और उत्‍पाद न विकास):
    नियमित आरकेवीवाई-आरएएफटीएएआर परिव्‍यय के 50 प्रतिशत भाग के साथ आधारभूत सुविधा और परिसंपत्तियां। 
    नियमित आरकेवीवाई-आरएएफटीएएआर आर के 30 प्रतिशत भाग के साथ मूल्‍यवर्धन से जुड़ी उत्‍पादन परियोजनाएं।
    नियमित आरकेवीवाई-आरएएफटीएएआर के 20 प्रतिशत भाग के साथ फ्लैक्‍सी निधियां। राज्‍य स्‍थानीय आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए इनका उपयोग किसी भी परियोजना की सहायता के लिए कर सकते हैं।
(ख) वार्षिक परिव्‍यय की 20 प्रतिशत राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं से संबंधित आरकेवीवाई-आरएएफटीएएआर विशेष उप-स्‍कीमें।
(ग) संपूर्ण समाधान, कौशल विकास, वित्‍तीय सहायता के जरिए नवाचार एवं कृषि उद्यम विकास के लिए वार्षिक परिव्‍यय का 10 प्रतिशत (2 प्रतिशत प्राशानिक लागत सहित)।
इस योजना से राज्‍यों से कृषि और सहायक क्षेत्रों के लिए ज्‍यादा आवंटन करने हेतु प्रोत्‍साहन मिलेगा। इससे किसानों को गुणवत्‍तापूर्ण आदानों की आपूर्ति, बाजारों की सुविधा आदि जैसी कृषि संरचना के निर्माण के माध्‍यम से किसानों के प्रयासों से मजबूती मिलेगी। इससे कृषि उद्यमिता को और बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आमदनी को अधिकतम करने में कारोबारी मॉडलों का सहयोग होगा।
पृष्‍ठभूमि
राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) ग्‍यारहवी पंचवर्षीय योजना से जारी है। इस योजना में राज्‍यों को कृषि क्षेत्र में व्‍यय को प्रोत्‍साहित करने के लिए योजना निर्माण और कार्यान्‍वयन में पर्याप्‍त लोच और स्‍वायत्‍ता दी गई है। राज्‍य विकेन्द्रित योजना निर्माण के तहत कृषि जलवायु की दशाओं, प्राकृतिक संसाधनों और प्रौद्योगिकियों पर ध्‍यान देते हुए जिला कृषि योजना (डीएपी) बनाते है जो स्‍थानीय आवश्‍यकताओं, फसल पैटर्न और प्राथमिकताओं को सुनिश्चित करती है। राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) में राज्‍य की स्‍वायत्‍तता और लोच को छेडे बिना उप स्‍कीमों के माध्‍यम से राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं को जारी रखते है। राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे पूर्वी भारत में हरति क्रांति, फसल विवधीकरण योजना, मृदा सुधार योजना, मृदा सुधार योजना, फुट एंड माउथ रोग नियंत्रण प्रोग्राम, केसर मिशन, त्‍वरित चारा विकास कार्यक्रम, उप-स्‍कीम चलाए जाते है।
11वीं और 12वीं योजना में, राज्‍यों ने 1300 से ज्‍यादा प्रोजेक्‍ट राज्‍य कृषि विभागों (नोडल विभाग) द्वारा चलाए गए है। आर्थिक विकास संस्‍थान द्वारा की गई आर के वी वाई मूल्‍यांकन की अंतरिम रिपोर्ट में यह उल्‍लेख किया गया है कि कृषि राज्‍य घरेलू उत्‍पाद (ए जी एस डी पी) के रूप में आकलित कृषि से प्राप्‍त आय, आर के वी वाई से पहले की अवध‍ि की तुलना में आर के वी वाई के बाद की अवधि में अधिक रही है। इसके अलावा, लगभग सभी राज्‍यों ने आरकेवीवाई के बाद की अवधि में कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों से उच्‍च मूल्‍य प्राप्‍त किया है। इसलिए आरकेवीवाई-आरएएफटीएएआर को जारी रखने से कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के विकास की गतिशीलता बनी रहेगी।
 

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