क्षमता विकास योजना को 2017-18 से 2019-20 तक जारी रखने की स्वीकृति

  • मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने क्षमता विकास योजना को 2,250 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 2017-18 से 2019-20 की अवधि तक जारी रखने को अपनी मंजूरी दे दी है।
  • क्षमता विकास योजना सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की जारी केन्द्रीय योजना है। इस योजना का उद्देश्य नीति निर्माताओं तथा लोगों के लिए विश्वसनीय और समय पर सरकारी सांख्यिकी उपलब्ध कराने के लिए संरचनात्मक, तकनीकी और मानव संसाधन को मजबूत बनाना है।
  • क्षमता विकास योजना के अंतर्गत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई), औद्योगिक उत्पादन सूचकाकं (आईआईपी), सांख्यिकीय वर्गीकरण, विभिन्न सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कार्य करने, क्षमता सृजन तथा सांख्यिकी समन्वय को मजबूत बनाने और आईटी अवसंरचना में सुधार करने जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियांचलाई जा रही हैं।योजना के अंतर्गत अप्रैल, 2017 में सामयिक श्रम बल सर्वेक्षण तथा पूरे देश के लिए (शहरी और ग्रामीण क्षेत्र) श्रम डाटा एकत्रितकरण कार्य लांच किया गया।
  • क्षमता विकास योजना के अंतर्गत दो उप-योजनाएं हैं- यह हैं आर्थिक गणना और सांख्यिकीय मजबूती के लिए समर्थन (एसएसएस)। आर्थिक जनगणना के अंतर्गत समय-समय पर सभी गैर-कृषि प्रतिष्ठानों को सूचीबद्ध करने का काम किया जाता है जो विस्तृत सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करने का आधार होता है। अंतिम (61) आर्थिक गणना जनवरी, 2013 से अप्रैल, 2014 तक की गई और अब भविष्य में सरकार का इरादा तीन वर्ष में एक बार सर्वेक्षण कराने का है। एसएसएस उप-योजना राज्य/उप-राज्य स्तर के सांख्यिकीय प्रणालियों/अवसंरचना मजबूत करने के लिए है ताकि मजबूत राष्ट्रीय प्रणाली विकसित करने में सहायता मिल सके। राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रस्ताव के विस्तृत परीक्षण के बाद राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को कोष जारी किए जाते है।
  • नियमित जारी गतिविधियों के अतिरिक्त सेक्टरों/क्षेत्रों के बेहतर सांख्यिकी कवरेज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने क्षमता विकास योजना के अंतर्गत तीन नए सर्वेक्षण कराने का प्रस्ताव किया है। यह सर्वेक्षण हैं समय उपयोग सर्वेक्षण (टीयूएस), सेवा क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (एएसएसएसई) तथा शामिल नहीं किए गए क्षेत्र के उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (एएसयूएसई)।

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