बहुविषयक साइबर-फिजिकल प्रणालियों के राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी

 

इस मिशन के तहत समाज की बढ़ती प्रौद्योगिकी जरूरतों को पूरा किया जाएगा और वह अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के लिए अग्रणी देशों के अंतर्राष्ट्रीय रूझानों तथा रोडमैप का जायजा लेगा। इस मिशन के तहत निम्नलिखित विकास और कार्य किए जाएंगे :

  1. देश में साइबर-फिजिकल प्रणालियां (सीपीएस) और संबंधित प्रौद्योगिकियां सुगम हो जाएंगी।
  2. भारतीय परिस्थितियों के मद्देनजर राष्ट्रीय/क्षेत्रीय मुद्दों को हल करने के लिए सीपीएस प्रौद्योगिकियों को अपनाना।
  3. सीपीएस मे अगली पीढ़ी की कुशल श्रमशक्ति का सृजन।
  4. प्रौद्योगिकी आधारित नव-अनुसंधान में तेजी लाना।
  5. सीपीएस में उद्यमिता और स्टार्ट-अप इको प्रणाली विकास में तेजी लाना।
  6. सीपीएस, प्रौद्योगिकी विकास तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग विषयों में उच्च शिक्षा में उन्नत अनुसंधान को तेजी देना।
  7. भारत को अन्य उन्नत देशों के समकक्ष लाना तथा कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभों को प्राप्त करना।

कार्यान्वयन रणनीति :

एनएम-आईसीपीएस एक समग्र मिशन है जो सीपीएस में प्रौद्योगिकी विकास, विनियोग विकास, मानव संसाधन विकास, कौशल विकास, उद्यमशीलता और स्टार्ट-अप विकास तथा संबंधित प्रौद्योगिकियों के मुद्दों को हल करेगा। मिशन का लक्ष्य 15 प्रौद्योगिकी नवाचार केन्द्र, 6 विनियोग नवाचार केन्द्र और 4 प्रौद्योगिकी आधारित नव-अनुसंधान केन्द्र (टीटीआरपी) बनाना है। यह केन्द्र और टीटीआरपी देश के प्रतिष्ठित अकादमिक, अनुसंधान एवं विकास तथा अन्य संगठनों में समाधान विकास के संबंध में अकादमिक संस्थानों, उद्योग, केन्द्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों को जोड़ेगा। अकादमिक संस्थानों, उद्योग और सरकार के एक व्यावहारिक समूह को शामिल करने के लिए रणनीतिक पहल के संबंध में प्रस्ताव को अपनाया गया है। मिशन के कार्यान्वयन, निगरानी और उसके मार्गदर्शन के लिए मिशन प्रशासनिक बोर्ड तथा अन्तर-मंत्रालयी समन्वय समिति, वैज्ञानिक सलाहकार समिति और अन्य उप-समितियों के रूप में मजबूत तथा निगरानी प्रणाली तैयार होगी। केन्द्रों और टीटीआरपी के चार प्रमुख क्षेत्र हैं। इनके साथ मिशन का कार्यान्वयन चलेगा। यह चार क्षेत्र हैं (i) प्रौद्योगिकी विकास, (ii) मानव संसाधन विकास एवं कौशल विकास, (iii) नवाचार, उद्यमिता एवं स्टार्ट-अप इको प्रणाली विकास, (iv) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।

प्रभाव :

सीपीएस प्रौद्योगिकियों से राष्ट्र की वैज्ञानिक, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी नवाचार क्षमताओं को नई धार मिलेगी। इसके अलावा वह सरकार के अन्य मिशनों को समर्थन देगी, औद्योगिक तथा आर्थिक प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा करेगी और एक वास्तविक रणनीतिक संसाधन के रूप में विकसित होगी। उभरते हुए विनियोग के आकार, प्रकार और जटिलता की वजह से आने वाले दिनों में नई प्रौद्योगिकियां लगातार विकसित होती रहेंगी। प्रस्तावित मिशन विकास का माध्यम बनेगा, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि, रणनीति आधारित सुरक्षा और औद्योगिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय पहलों को लाभ होगा। इसके अलावा इंडस्ट्री 4.0, स्मार्ट सिटी, सतत विकास लक्ष्य इत्यादि को भी लाभ होगा। सीपीएस आने वाली प्रौद्योगिकियों की एक समग्र प्रणाली है, जो विकास की दौड़ में अन्य देशों के साथ मिलकर चलने को प्राथमिकता देती है। सीपीएस से समस्त कौशल आवश्यकताओं में आमूल परिवर्तन होगा। उद्योग/समाज की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्नत कुशलता और कुशल श्रमशक्ति के सृजन के द्वारा मिशन रोजगार अवसरों में इजाफा करेगा। नवाचार, उद्यमिता और स्टार्ट-अप इको प्रणाली प्रस्तावित एनएम-आईसीपीएस का अभिन्न हिस्सा हैं, जिसके मद्देनज़र स्टार्ट-अप से भी सीपीएस तथा संबंधित क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी आधारित रोजगार अवसर पैदा होंगे। इस तरह अल्पकालिक अवधि में लगभग 40,000 रोजगार और दीर्घकालिक अवधि में लगभग दो लाख रोजगार पैदा होंगे।

लाभ :

मिशन समाज के लाभ के लिए सीपीएस प्रौद्यगिकियों के कारगर इस्तेमाल करने के संबंध में केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों और उद्योगों को अपनी परियोजनाएं और योजनाएं चलाने में मदद करेगा।

राज्यों/जिलों का समावेश :

एनएम-आईसीपीएस एक अखिल भारतीय मिशन है और इसके दायरे में केन्द्रीय मंत्रालय, राज्य सरकार, उद्योग और अकादमिक जगत सहित पूरा भारत है।

पृष्ठभूमि :

सीपीएस और कृत्रिम बौद्धिकता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक्स, क्वांटम कम्यूटिंग, क्वांटम कम्यूनिकेशन, क्वांटम इंक्रिप्शन (क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन), डेटा साइंस, प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स, भौतिक अवसंरचना और अन्य अवसंरचना के लिए साइबर सुरक्षा सहित संबंधित प्रौद्योगिकियां बहुत आगे बढ़ चुकी हैं। वे सभी सेक्टरों में मानवी प्रयासों के लगभग हर क्षेत्र में परिवर्तन करने में अहम भूमिका निभा रही है। सरकार और उद्योग के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे प्रतिस्पर्धी बने रहने, सामाजिक विकास करने, रोजगार सृजन, आर्थिक विकास में तेजी लाने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने तथा पर्यावरण को कायम रखने के लिए इन उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए तैयार रहें।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download