इसके तहत उत्तराखंड में क्लस्टर अवधारणा के जरिये सतत विकास के लिए उपयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी कदमों पर अमल करने का प्रयास किया जाएगा।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने उत्तराखंड में गांवों के कुछ क्लस्टरों को अपनाने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साधनों के जरिये समयबद्ध ढंग से उन्हें स्वयं-टिकाऊ क्लस्टरों में तब्दील करने की परिकल्पना की है।
इस अवधारणा के तहत मुख्य बात यह है कि स्थानीय संसाधनों के साथ-साथ स्थानीय तौर पर उपलब्ध कौशल का उपयोग किया जाएगा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए इन क्लस्टरों को कुछ इस तरह से परिवर्तित किया जाएगा, जिससे कि वहां की स्थानीय उपज और सेवाओं में व्यापक मूल्यवर्धन संभव हो सके।
इससे ग्रामीण आबादी को स्थानीय तौर पर ही पर्याप्त कमाई करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों को रोजगारों एवं आजीविका की तलाश में अपने मूल निवास स्थानों को छोड़कर कहीं और जाकर बस जाने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जब यह अवधारणा कुछ चुनिंदा क्लस्टरों में सही साबित हो जाएगी, तो इसकी पुनरावृत्ति देशभर में अनगिनत ग्रामीण क्लस्टरों में की जा सकती है।