इस बात पर गौर करते हुए कि भारत की निर्वाचन प्रणाली में राजनैतिक दल महत्वपूर्ण साझेदार हैं, निर्वाचन आयोग समय-समय पर सभी मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करता रहता है ताकि महत्वपूर्ण विषयों पर उनके विचार प्राप्त हो सकें। निर्वाचन आयोग हमेशा से वर्तमान निर्वाचन प्रणाली और अपनी कार्य पद्धति में सुधार करके देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत बनाने के कार्य में लगा हुआ है।
- बैठक की कार्य सूची में शामिल है – मतदाता सूची की विश्वसनीयता। निर्वाचन आयोग ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए मतदाता सूचियों की विशुद्धता, पारदर्शिता और सम्मिलितता में सुधार करने के उपायों के बारे में सभी राजनैतिक दलों के विचार आमंत्रित किए हैं।
- राजनैतिक दलों में लिंग प्रतिनिधित्व और तुलनात्मक अंतर्राष्ट्रीय अनुभव के सम्बन्ध में, निर्वाचन आयोग ऐसे विचार आमंत्रित करेगा जिससे राजनैतिक दल अपने संगठनात्मक ढांचे के भीतर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उपाय कर सकें और साथ ही चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार का चयन किया जा सके।
- चुनाव खर्च पर नियंत्रण करने, विधान परिषद के चुनावों के खर्च की सीमा तय करने और राजनैतिक दलों का खर्च सीमित करने के विषय पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इसके अलावा वार्षिक लेखा रिपोर्ट, चुनाव खर्च रिपोर्ट समय पर देने के उपाय लागू करने के बारे में विचार-विमर्श भी कार्य सूची का हिस्सा है।
- जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के अनुच्छेद 126(1)(बी) के दायरे में चुनाव प्रचार बंद होने की अवधि – प्रिंट मीडिया को शामिल करने सहित और मतदान समाप्त होने से पहले अंतिम 48 घंटों के दौरान सोशल मीडिया पर पार्टी/उम्मीदवार की चुनावी संभावनाओं को बढ़ाने अथवा पूर्वाग्रह के लिए ऑनलाईऩ प्रचार के मुद्दे पर भी बैठक में विचार किया जाएगा।
- चुनाव कराने के संबंध में महत्वपूर्ण विषयों (क) प्रवासियों और अनुपस्थित मतदाताओं के लिए मतदान के वैकल्पिक तरीके (ख) ईटीबीपीएस योजना के संचालन के संबंध में राजनैतिक दलों के विचार और फीडबैक (ग) दिव्यांग मतदाताओं की मतदान में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के प्रयासों के संबंध में राजनैतिक दलों के विचार और फीडबैक पर भी बैठक में विचार किया जाएगा।
मतदान में भागीदारी सहित पहुंच बढ़ाने और व्यापक आधार को प्रोत्साहित करने के आयोग के प्रयासों के संबंध में राजनैतिक दलों के विचार और फीडबैक आमंत्रित किए गए हैं