विदेश व्यापार नीति 2015-20 की मध्यावधि समीक्षा

Focus of Foreign Trade policy

 

  • विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) के तहत अपेक्षाकृत कम अनुपालन और लॉजिस्टिक्स लागत के रूप में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के ऐतिहासिक सुधार से होने वाले दीर्घकालिक फायदे से अनुकूल परिदृश्य सुनिश्चित किया जाएगा। एफटीपी के तहत ज्यादा प्रोत्साहन देते हुए श्रम बहुल और एमएसएमई क्षेत्रों से निर्यात पर फोकस किया जाएगा, ताकि रोजगार अवसरों में वृद्धि की जा सके।
  • इसके तहत सीमा पार ‘व्यापार में सुगमता’ सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया जाएगा। एक अत्याधुनिक व्यापार विश्लेषणात्मक प्रभाग के जरिए सूचना आधारित नीतिगत कदम सुनिश्चित किए जाएंगे। जहां एक ओर पारंपरिक उत्पादों और बाजारों में मौजूदा हिस्सेदारी को बरकरार रखा जाएगा, वहीं दूसरी ओर नए उत्पादों और नए बाजारों पर फोकस किया जाएगा।

संशोधित एफटीपी से भारतीय निर्यात को और ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।

Other scheme to promote Export

अग्रिम प्राधिकारी, निर्यात संवर्धन पूंजीगत सामान और शत-प्रतिशत निर्यातोन्मुख इकाई (ईओयू) योजना के तहत शुल्क मुक्त आयात की निर्यात संवर्धन योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न फायदों को बहाल करके जीएसटी लागू होने के बाद निर्यातकों की कार्यशील पूंजी के अटक जाने की समस्या सुलझा ली गई है। इसके साथ ही एफटीपी समीक्षा के तहत श्रम बहुल एमएसएमई क्षेत्रों (सेक्टर) के लिए प्रोत्साहनों में वृद्धि करने पर फोकस किया गया है। भारत से वाणिज्यिक निर्यात योजना (एमईआईएस) के तहत निर्यात प्रोत्साहनों में सभी स्तरों पर श्रम बहुल एमएसएमई क्षेत्रों के लिए दो प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है जिससे 4,567 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन सुनिश्चित हुआ है। यह श्रम बहुल कपड़ा क्षेत्र में तैयार परिधानों तथा मेड-अप्स के लिए एमईआईएस प्रोत्साहनों को दो प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत करने की घोषणा के अलावा है। इससे 2,743 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन सुनिश्चित हुआ है। इसके अलावा, भारत से सेवा निर्यात योजना (एसईआईएस) के तहत प्रोत्साहनों में भी दो प्रतिशत की वृद्धि की गई है जिससे 1,140 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है।

उपर्युक्त दोनों योजनाओं के तहत मिलने वाले प्रोत्साहनों में 33.8 प्रतिशत (8,450 करोड़ रुपये) की बढ़ोतरी हुई है, जबकि मौजूदा प्रोत्साहन 25,000 करोड़ रुपये का है। इसके फलस्वरूप श्रम बहुल क्षेत्रों के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है और इसके साथ ही रोजगार अवसर भी बढ़ गए हैं। जो प्रमुख क्षेत्र लाभान्वित हुए हैं उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • कपड़ा क्षेत्र में सिले-सिलाए परिधानों और मेड-अप्स के लिए 2743 करोड़ रुपये
  • चमड़ा एवं फुटवियर सामग्री के लिए 749 करोड़ रुपये
  • रेशम, हथकरघा एवं कॉयर की हस्तनिर्मित कालीनों और जूट उत्पादों के लिए 921 करोड़ रुपये
  • कृषि एवं संबंधित उत्पादों के लिए 1354 करोड़ रुपये
  • होटल एवं रेस्तरां सहित सेवाओं, हॉस्पिटल, शैक्षणिक सेवाओं इत्यादि के लिए 1140 करोड़ रुपये
  • समुद्री उत्पादों के लिए 759 करोड़ रुपये
  • दूरसंचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के लिए 369 करोड़ रुपये
  • चिकित्सा एवं शल्य चिकित्सा उपकरणों के लिए 193 करोड़ रुपये


इसके अलावा, ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स की वैधता अवधि 18 माह से बढ़ाकर 24 माह कर दी गई है तथा स्क्रिप्स के हस्तांतरण/बिक्री पर जीएसटी दरें घटाकर शून्य कर दी गई हैं। विशिष्ट नामित एजेंसियों को आईजीएसटी का भुगतान किए बगैर सोना आयात की अनुमति देकर निर्यातकों के लिए सोने की उपलब्धता का मसला सुलझा लिया गया हैं। इसके अलावा निर्यात ऋण गारंटी निगम को दी जाने वाली सहायता राशि भी बढ़ाई जा रही है, ताकि निर्यातकों खासकर एमएसएमई द्वारा खोजे जा रहे नए अथवा दुर्गम बाजारों के लिए बीमा कवर में वृद्धि की जा सकें।

निर्यात के लिए आवश्यक कच्चे माल की स्व-आकलन आधारित शुल्क मुक्त खरीद की नई योजना शुरू की गई है। इस तरह के मामलों में मानक इनपुट-आउटपुट मानकों की कोई जरूरत नहीं होगी, अतः इसके परिणामस्वरूप विलंब की कोई गुंजाइश नहीं रह जाएगी। यह विश्वास पर आधारित है। निर्यातक शुल्क मुक्त कच्चे माल/इनपुट की आवश्यकता का स्व-प्रमाणन करेंगे।

डेटा आधारित नीतिगत कदमों के लिए डीजीएफटी में एक अत्याधुनिक व्यापार विश्लेषणात्मक प्रभाग स्थापित किया गया है। इस पहल के तहत डीजीसीआईएस से प्राप्त होने वाली व्यापार सूचनाओं की प्रोसेसिंग की जाएगी।

वाणिज्य विभाग में एक नया लॉजिस्टिक्स प्रभाग बनाया गया है, ताकि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के एकीकृत विकास में समन्वय स्थापित किया जा सके। इसके लिए नीतिगत बदलाव किए जाएगे, मौजूदा प्रक्रियाओं को बेहतर किया जाएगा और विभिन्न बाधाओं की पहचान की जाएगी।

एफटीपी समीक्षा के तहत सीमा पार ‘व्यापार में सुगमता’ पर फोकस किया जाएगा। निर्यातकों के मार्गदर्शन एवं सहायता के लिए एक प्रोफेशनल टीम होगी, जो निर्यात संबंधी समस्याओं को सुलझाने, निर्यात बाजार तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने और नियामकीय संबंधी आवश्यकताएं पूरी करने में मदद करेगी।

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