Fishing and India
- भारत विश्व में मछली उत्पादन में दूसरे स्थान पर बना हुआ है। समग्र मछली-उत्पादन 1950-51 के 7.5 लाख टन से बढ़कर 2016-17 में 114.1 लाख टन हो गया है
- इस क्षेत्र से देश के डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है।
- भारत में मात्स्यिकी एक तेजी से उभरता हुआ सेक्टर है, जो देश की एक बड़ी आबादी को पोषण-युक्त भोजन तथा खाद्य-सुरक्षा प्रदान करता है और उसके साथ मछुआरों और मछली-पालकों को आय और रोजगार भी प्रदान करता है। भारत में मात्स्यिकी सेक्टर का विकास केवल देश की प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा यह विश्व के मत्स्य उत्पादन में भी लगभग 6.2 प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान करता है।
- झींगा उत्पादन मे भारत का प्रथम स्थान है, साथ ही हमारा देश विश्व में झींगा का सबसे बड़ा निर्यातक देश भी है। पिछ्ले एक दशक मे जहाँ विश्व में मछ्ली एवम मत्स्य-उत्पादो के निर्यात की औसत वार्षिक विकास दर 7.5 प्रतिशत रही है, वही भारत मत्स्य-उत्पादो के निर्यात मे 14.8 प्रतिशत की सर्वाधिक औसत वार्षिक विकास दर के साथ प्रथम स्था्न पर रहा है।
- मात्स्यिकी सेक्टर में विकास की अपार क्षमता और संभावनाओं को देखते हुये ही माननीय प्रधानमंत्री ने ‘नीली क्रांति’ का आह्वान किया है। इस संदर्भ में सरकार ने मात्स्यिकी सेक्टर की सभी योजनाओं को ‘नीली क्रांति: मात्स्यिकी का एकीकृत विकास और प्रबंधन नामक एकछत्र योजना’ के अंतर्गत विलय कर दिया है और 5 वर्षों के लिए 3 हजार करोड़ रूपए का परिव्यय अनुमोदित किया है।
Blue revolution
- नीली क्रांति’ नई और आधुनिक प्राद्योगिकी के प्रयोग में तेजी लाने, मछुआरों तथा मछली-पालकों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, वैज्ञानिक परामर्शों और पद्धतियों को अपनाने, प्रजातियों के विविधिकरण तथा मत्स्य-स्वास्थ्य प्रबंधन इत्यादि पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सरकार का मुख्य उदेश्य् ‘नीली क्रांति’ के कार्यान्वयन के माध्यम से मछुआरों तथा मछली पालकों की आय को 2022 तक दोगुना करना है।
- समुद्री मात्स्यिकी मे उत्पादन को बढ़ाने के लिये नीली क्रांति योजना के अंतर्गत “केज कल्चर” को बढ़ावा दिया जा रहा है, तथा तटवर्ती राज्यों को आर्थिक सहायता के साथ साथ ट्रेनिंग और क्षमता विकास मे भी मदद की जा रही है
- भारत सरकार ने पारम्परिक मछुवारो को ‘डीप-सी फिशिंग’ मे आगे बढ़ाने के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाते हुये 9 मार्च, 2017 को नीली क्रांति योजना के अंतर्गत एक नया घटक जोड़ा है, जिसके अंतर्गत रु 80 लाख मूल्य वाली आधुनिक तकनीकी वाली डीप-सी फिशिंग नौकाये उपलब्ध कराने में, पारंपरिक मछुवारो को, उनके स्वंय सहायता समूहो, सोसायटी, या संगठनों को भारत सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अर्थात रु.40 लाख तक की वित्तीय सहायता दी जायेगी।