12वीं योजना अवधि के अतिरिक्त भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान संबंधी योजना को जारी रखने के लिए मंजूरी 


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य तीन वित्तीय वर्षों (वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर 2019-20 तक) के लिए भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) योजना को जारी रखने और संस्थान को 18 करोड़ रुपए का सहायता अनुदान प्रदान करने के लिए अपनी मंजूरी प्रदान की है।  इससे वित्त वर्ष 2019-20 के अंत तक यह संस्थान आत्मनिर्भर बन सकेगा।
 
प्रभाव:  
 
o    कॉरपोरेट गवर्नेंस के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सार्वजनिक औऱ निजी क्षेत्र की भागीदारी से संस्थान द्वारा संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम, अनुसंधान गतिविधियाँ और परियोजनाएं कौशल का विकास करेगी और इसके परिणामस्वरुप विद्यार्थियों की नियोजनीयता और पेशेवरता में भी बढ़ोतरी होगी।
o    संस्थान का मुख्य उद्देश्य अपने संसाधन और राजस्व में बढ़ोतरी करते हुए कॉरपोरेट कानून के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थान बनाना है।
o    यह परिकल्पना की गई है कि आईआईसीए  एक राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनेगा जिसके परिणामस्वरुप यह विकास का इंजन बनेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में भी विस्तार होगा।
o    पेशवर क्षमता में सुधार होने से विदेशों सहित उभरते हुए कॉरपोरेट क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को प्राप्त करने में पेशेवरों की भी मदद होने की प्रत्याशा है।
 
पृष्ठभूमि:
 आईआईसीए में राष्ट्रीय कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व फाउंडेशन (एनएफसीएसआर) कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के लिए जिम्मेदार है। इस फाउंडेशन को कंपनी अधिनियम, 2013 के नए प्रावधानों के अनुरुप डिजाइन किया गया था। एनएफसीएसआर सामाजिक समावेशन की दिशा में उन्मुखी, सीएसआर के क्षेत्र में कॉरपोरेटों के साथ भागीदारी में विभिन्न गतिविधियों का संचालन करता है।
 आईआईसीए विभिन्न नीति निर्माताओं, नियामकों सहित कॉरपोरेट क्षेत्र से संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले विभिन्न हितधारकों के लिए तर्कसंगत निर्णय लेने में सहायता करने के लिए थिंक टैंक और ज्ञान एवं आंकड़ों का भंडार है। यह कॉरपोरेट कानून, कॉर्पोरेट गवर्नेंस, सीएसआर, लेखांकन मानक, निवेशक शिक्षा आदि क्षेत्रों में हितधारकों को सेवाएं प्रदान करता है। आईआईसीए की विभिन्न गतिविधियों ने प्रथम पीढ़ी के उद्यमियों और लघु व्यापारों को बहु-अनुशासनीय कौशल प्रदान करने के लिए भी मदद की है क्योंकि उनके पास प्रबंधन, कानून, लेखांकन आदि क्षेत्र में अलग से विशेषज्ञों को नियुक्त करने के वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं है
 

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