INS KILTON is the indigenously-built anti-submarine warfare stealth corvette.
It has been recently inducted into the Indian Navy
आईएनएस क्लिटन (पी 30), तीसरी एंटी-पनडुब्बी वारफेयर (एएसडब्लू), जिसे प्रोजेक्ट 28 (कमोर्टे क्लास) के तहत बनाया गया है|
आईएनएस क्लिटन को भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना गया है। इस युद्धपोत की अवधारणा 10 अगस्त 2010 को रखी गई थी और 26 मार्च 2013 को इसकी शुरूआत की गई थी। इसके पहले समुद्री परीक्षण की शुरुआत 6 मई 2017 को हुई थी तथा आखिरकार 14 नवंबर 2017 को जीआरएसई द्वारा इसे भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था। यह युद्धपोत डीजल एंड डीजल (सीओडीएडी) के प्रणोदन प्रणाली द्वारा संचालित है जिसमें 25 समुद्री मील से अधिक गति हासिल करने के लिए चार डीजल इंजन की व्यवस्था होती है और लगभग 3500 नौटिकल मील की सहनशक्ति क्षमता है।
परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध की स्थितियों में लड़ने में सक्षम इस युद्धपोत में 80 फीसदी से अधिक उपकरण और प्रणाली स्वदेशी निर्मित है। इसके साथ ही, पी -28 हथियार और संवेदी क्षमता मुख्य रूप से स्वदेशी है और यह इस क्षेत्र में देश की बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करता है। आईएनएस क्लिटन पूरी तरह से मिश्रित सामग्री के अधोसंरचना के साथ पहला प्रमुख युद्धपोत है।
इस प्रमुख युद्धपोत पर पहली बार समग्र अधिरचना पर आधारित हथियार और सेंसर स्थापित किए गए हैं। आईएनएस क्लिटन पर लगाए गए समग्र अधिरचना ने भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर उन्नत इंजीनियरिंग सामग्रियों के उपयोग को वजन और स्थिरता मानकों में महत्वपूर्ण सुधार के साथ उपयोग किया है।
एएसडब्लू सक्षम हेलिकॉप्टर के अलावा हथियारों में भारी वजन टारपीडो, एएसडब्ल्यू रॉकेट, 76 एमएम कैलिबर मिडियम रेंज बंदूक और दो बहु-बैरल 30 एमएम बंदूकें शामिल हैं जो जिसमें क्लोज-इन-वेपन सिस्टम (सीआईडब्ल्यूएस) के रूप में समर्पित अग्नि नियंत्रण प्रणाली है।
युद्धपोत का नाम पुराने आईएनएस क्लिटन (पी 79) एक पेट्या क्लास एएसडब्ल्यू युद्धपोत से लिया गया है जिसे 18 वर्ष की सेवा के बाद जून 1987 को बंद कर दिया गया था। लक्षद्वीप समूह के द्वीपों से संबंधित कोरल द्वीप के नाम पर इस युद्धपोत का नाम रखा गया जिसमें 15 अधिकारियों और 180 नाविकों की क्षमता है। 109 मीटर लंबा, 14 मीटर चौड़ा तथा 3300 टन के विस्थापन क्षमता के साथ भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली एंटी पनडुब्बी युद्धपोतों में से इसे एक माना जा सकता है।
आईएनएस क्लिटन के शामिल होने से भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े के एएसडब्ल्यू क्षमता में एक नया आयाम जोड़ देगा। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की बढ़ी हुई बहुआयामी क्षमता को प्रतिबिंबित करती है।