वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट- आईएनएस तरासा
तटीय और अपतटीय क्षेत्रों की निगरानी तथा गश्ती की अग्रिम भूमिका निभाने के लिए
आईएनएस तारासा गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स(जीआरएसई), कोलकाता द्वारा निर्मित वाटर जैट एफएससी का चौथा और अंतिम पोत है। इस श्रेणी के पहले दो पोतों -आईएनएस तारमुगली और तिहायु को 2016 में शामिल किया गया था जो अभी विशाखापत्तनम में स्थित हैं।
आईएनएस तारासा 50 मीटर लम्बा है और यह तीन वाटरजैट्स से संचालित होता है, जो इसे 35 नोट्स (65 किलोमीटर प्रति घंटा) से अधिक की रफ्तार देते हैं।
पोत स्वदेशी तकनीकी से निर्मित 30 एमएम की बंदूकों तथा कई तरह के हल्के, मध्यम और भारी मशीनगनों की क्षमता से लैस हैं।
यह भारतीय नौसेना का दूसरा जहाज है, जिसे आईएनएस तारासा का नाम दिया गया है। पहले आईएनएस तारासा ने 1999 से लेकर 2014 तक नौसेना की सेवा की थी।
इसे हिन्द महासागरीय क्षेत्र में भारतीय साझेदारी के प्रतीक के रूप में सेशल्स तटरक्षक बल को उपहार में दे दिया गया था। नया आईएनएस तारासा का संचालन मुम्बई स्थिति पश्चिम नौसेना कमान द्वारा किया जाएगा।