USFDA सहित किसी विदेशी विनियामक एजेंसी से प्राप्त चेतावनी पत्रों /आयात चेतावनियों को सीधे कंपनियों के पास भेजा जाता है। औषधियों के निर्यात के लिए भारतीय भेषज कंपनियों द्वारा आयातक देश के विनियामक प्रावधानों का अनुपालन किया जाना अपेक्षित है। औषधियों के मानक जिनका अनुपालन किया जाना होता है, तत्संबंधी भेषज कोष में विनिर्धारित किए गए हैं। इन मानकों का समय-समय पर निरंतर रूप से उन्नयन किया जाता है। सरकार ने विहित किए गए गुणवत्ता मानदंडों के गैर अनुपालन के साथ-साथ औषधियों के विनिर्माण, आपूर्ति और विक्रय के मामलें में कठोर अभियोजन/शास्तियों के लिए सख्त प्रवर्तन व्यवस्था स्थापित करने के लिए निम्नलिखित उपाए किए हैं/ कर रही है: (#GSHINDI #THECOEIAS)
- नकली एवं मिलावटी दवाइयों के विनिर्माण हेतु सख्त दंड का प्रावधान करने के लिए औषध एवं प्रसाधन सामग्री (संशोधन) अधिनियम, 2008 के तहत औषध एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 को संशोधित किया गया था। कुछ अपराधों को संज्ञेय व गैर-जमानती भी बनाया गया है। और विशेष न्यायालय स्थापित किए गए हैं।
- शीघ्र निस्तारण हेतु औषध एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत अपराधों के अभियोजन हेतु विशेष न्यायालयों की स्थापना करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से अनुरोध किया गया था। अब तक 22 राज्य नामित विशेष न्यायालयों की स्थापना कर चुके हैं।
- देश में नकली दवाइयों के चलन की पहचान करने में सतर्क सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा व्हिसल ब्लोअर स्कीम की घोषणा की गई हैं।
- औषध एंव प्रसाधन सामग्री (संशोधन) अधिनियम, 2008 के तहत बढ़ाए गए दंडों के परिप्रेक्ष्य में नकली घोषित या अवमानक गुणवत्ता वाली औषधियों के नमूनों पर कार्रवाई करने के लिए एक समान कार्यान्वयन हेतु राज्य औषध नियंत्रकों को दिशानिर्देश अग्रेषित किए गए थे।
- निरीक्षणालय कर्मचारियों को देश में चल रही औषधियों की गुणवत्ता की निगरानी के लिए सतर्कता रखने तथा जांच व विश्लेषण हेतु औषधियों के नमूने लेने का निदेश दिया गया है।
- केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) में स्वीकृत पदों की संख्या (वर्ष, 2008 में) 111 से बढ़ाकर (वर्ष 2017 में) 510 कर दी गयी है।
- सीडीएससीओ के अधीन केंद्रीय औषध परीक्षण प्रयोगशालाओं की परीक्षण क्षमताओं को सतत् रूप से बढ़ाया जा रहा है ताकि देश में औषधियों नमूनों के परीक्षण में तेजी लाई जा सके।