आदर्श दुकान एवं प्रतिष्ठान (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) विधेयक, 2016 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं :
- आदर्श विधेयक विनिर्माण के अलावा दस या अधिक कामगारों को नियोजित करने वाली दुकानों और प्रतिष्ठानों पर लागू होता है,
- वर्ष में 365 दिन परिचालन करने तथा प्रतिष्ठानों को खोलने/बंद करने की स्वतंत्रता,
- महिलाओं को रात्रि-पाली के दौरान काम करने की अनुमति दी जाए यदि आश्रय, विश्राम कक्ष, महिला शौचालय, उनकी गरिमा का पर्याप्त संरक्षण और परिवहन आदि की व्यवस्थाएं विद्यमान हों,
- भर्ती, प्रशिक्षण, स्थानांतरण या पदोन्नतियों में महिलाओँ से कोई भेदभाव न हो,
- सरलीकृत कार्यप्रक्रिया के माध्यम से ऑनलाइन एक ही पंजीकरण,
- पृथक प्रतिष्ठानों द्वारा स्थान की बाध्यता अथवा अन्यथा के कारण संभव न होने की स्थिति में प्रतिष्ठानों समूह द्वारा कामगारों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य, साफ और सुरक्षित पेय जल, प्राथमिक उपचार, शौचालय, शिशु-सदन और कैंटीन के लिए नियोजक द्वारा किए जाने वाले पर्याप्त उपायों के संबंध में नियम बनने हेतु समुचित सरकार को शक्ति देना,
- राष्ट्रीय अवकाशों के अलावा पांच वैतनिक पर्व अवकाश आदि।
- दुकानें या प्रतिष्ठान सप्ताह के सातों दिन इस शर्त के अध्ययधीन कार्यरत रह सकते हैं कि प्रत्येक कामगार को कम-से-कम चौबीस घंटे के लगातार विश्राम हेतु साप्ताहिक अवकाश की अनुमति दी जाए। यदि किसी कामगार को साप्ताहिक अवकाश से वंचित किया जाता है, तो उसके बदले दो महीने के भीतर प्रतिपूरक छुट्टी दी जाए तथा यदि कामगारों से विश्राम के दिन काम लेना अपेक्षित हो, तो वे उनकी मजदूरी की सामान्य दर से दोगुनी दर पर मजदूरी पाने के हकदार होंगे।
- किसी भी वयस्क कामगार से अपेक्षित नहीं होगा या उसे अनुमति नहीं होगी कि वह किसी दुकान या प्रतिष्ठान में किसी सप्ताह में 48 घंटे से अधिक तथा दिन में नौ घंटे से अधिक काम करे तथा किसी भी कामगार से लगातार 5 घंटे से अधिक समय तक काम करने के लिए नहीं कहा जाएगा जब तक कि उसे आधे घंटे तक का अवकाश न दिया गया हो। इन उपबंधों के गैर-अनुपालन के लिए विधेयक में पर्याप्त दाण्डिक उपबंध बनाए गए हैं।
- किसी भी महिला से अपेक्षित नहीं होगा या उसे अनुमति नहीं होगी कि वह किसी दुकान या प्रतिष्ठान में सुबह 6 बजे और रात 9 बजे के बीच के समय के अलावा, किसी सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करे। महिला कामगारों को रात की पाली में काम करने की अनुमति दी जाए यदि राज्य सरकार संतुष्ट हो कि आश्रय, विश्राम कक्ष, महिला शौचालय, रात्रि शिशु-सदन, उनकी गरिमा, सम्मान का पर्याप्त संरक्षण और सुरक्षा तथा परिवहन आदि की पर्याप्त व्यवस्थाएं विद्यमान हैं।