क्षय रोग के उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीतिक योजना

 

सरकार ने 2012-2017 अवधि के दौरान देश में क्षय रोग के मामलों को नियोजित करने के लिए राष्‍ट्रीय कार्यनीतिगत योजना (एनएसपी) प्रारंभ की थी। एनएसपी (2012-2017) के मुख्‍य घटक इस प्रकार हैं:

  • आधारभूत डॉट्स सेवाओं की गुणवतता का सुदृढ़ीकरण एवं उसमें सुधार लाना।
  • क्षेत्रीय स्‍तर पर उन्‍नत त्‍वरित नैदानिकों की तैनाती।
  • सभी परिचर्या प्रदाताओं को इस कार्य में लगाने के लिए प्रयासों का विस्‍तार करना।
  • औषधि प्रतिरोधी क्षयरोग के मामलों के नैदानिकों एवं उपचार का विस्‍तार करना।
  • संप्रेषण, आउटरीच एचं सामाजिक एकजुटता में सुधार लाना।
  • विकास के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा उन्‍नत उपायों एवं कार्यनीतियों को कार्यान्वित करना।
  • क्षय रोग निगरानी के सुदृढ़ीकरण हेतु सूचना संप्रेषण प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का उपयोग करना।

क्षय रोग उन्‍मूलन हेतु राष्‍ट्रीय कार्यनीतिक योजना (एनएसपी 2017-25) का कार्यान्‍वयन जनवरी, 2017 में प्रारंभ कर दिया गया था। वित्‍तीय वर्ष 2018-19 के लिए 2770.91 करोड़ रु. की निधियां आवंटित की गई हैं, जिसमें नकद अंतरण एवं समाज कल्‍याण योजनाओं के लिए निधियां भी शामिल हैं।

विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) की ग्‍लोबल रिपोर्ट 2017 के अनुसार, भारत में एमडीआर-आरआर के लगभग 1,47,000 मामले पाए गए हैं, जो कि कुल ग्‍लोबल मामलों का 24% है।फिर भी इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में टीबी के मामलों की संख्‍या वर्ष 2015 में प्रतिवर्ष प्रति लाख की आबादी पर 217 से घटकर वर्ष 2016 में प्रतिवर्ष प्रति लाख आबादी पर 211 रह गई है।

निक्षय पोर्टल एवं सक्रिय मामला परिणाम योजना प्रारंभ होने के पश्‍चात् प्राइवेट प्रैक्टिशनरों द्वारा रिपोर्ट किए गए मामलों की उच्‍चतर संख्‍या को क्षयरोग मामला परिणाम के राष्‍ट्रीय आंकड़ों में शामिल किया गया था, जिस कारण क्षयरोग मामलों के आंकड़ों में वृद्धि हुई।

उपर्युक्‍त के अतिरिक्‍त, क्षयरोग मामलों में वृद्धि के लिए उन विभिन्‍न सामाजिक निर्धारकों को उत्‍तरदायी ठहराया जा सकता है, जो क्षय रोग संक्रमण का फैलना जारी रखते हैं।

गरीबी, कुपोषण, भीड़भाड़ तथा घनी बस्तियों में रहना, वायु प्रदूषण, मद्यपान, धूम्रपान इत्‍यादि जैसे संक्रमण को टीबी रोग में परिवर्तित करने की संभावना में बढ़ोत्‍तरी करते हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ब्‍यौरा निम्‍नवत् है:

  • टीबी के सभी मरीजों की शीघ्र पहचान करना, गुणवत्‍ता आश्‍वासित औषधियों एवं उपचार रेजीमेंस के साथ तुरंत उपचार।
  • अनुपालन को प्रोत्‍साहित करने के लिए समुचित रोगी सहायता प्रणालियां।
  • निजी क्षेत्र में रोगी परिचर्या की मांग करना।
  • सक्रिय मामला परिणाम सहित रोकथाम कार्यनीतियां तथा
  • उच्‍च जोखिम/उपेक्षित आबादी में संपर्क का पता लगाना।
  • वायुजनित संक्रमण नियंत्रण।
  • सामाजिक निर्धारकों के निवारण हेतु बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई।
  • समाज के सभी समुदायों के बीच टीबी के संबंध में जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु समर्थन, संप्रेषण तथा सामाजिक एकजुटता क्रियाकलाप।

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