थिरूवनन्तपुरम, केरल में आयोजित राष्ट्रीय केला मेला, 2018
केला एवं प्लैंटेंस उष्ण कटिबंधीय विकसित देशों में लाखों लोगों के लिए व्यापक फाइबर युक्त खाद्य फसल है जिसकी खेती लगभग चार हजार वर्ष पुरानी अर्थात 2020 बीसी से की जा रही है।
केले का मूल उत्पादन स्थल भारत है तथा भारत के उष्ण कटिबंधीय उप कटिबंधीय तथा तटीय क्षेत्रों में व्यापक पैमाने में इसकी खेती की जाती है।
आज विश्व के 130 देशों में 5.00 मिलियन हे. क्षेत्र में केला उगाया जाता है जिसमें केले एवं प्लैंटेंस (एफएओ, 2013) का 103.63 मिलियन टन उत्पादन होता है।
भारत, विश्व में केले का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला देश है, भारत में 0.88 मिलियन हे. क्षेत्र में 29.7 मिलियन टन केले का उत्पादन होता है।
भारत में केले की उत्पादकता 37 मीट्रिक टन प्रति हे. है। यद्यपि भारत में केले की खेती विश्व की तुलना में 15.5 प्रतिशत क्षेत्र में की जाती है परन्तु भारत में केले का उत्पादन विश्व की तुलना में 25.58. प्रतिशत होता है।
विश्व का केला उत्पादन अफ्रीका, एशिया, कैरिबियन और लैटिन अमेरिका में केन्द्रित है जो वहां की जलवायु की स्थितियों के कारण है।
Some Concern
शहरीकरण एवं प्राकृतिक स्थलों पर जंगली केले की खेती में कमी के कारण केले की उपलब्ध अनुवांशिक विविध किस्मों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। मूसा नामक जंगली प्रजाति और उसकी सहायक किस्में जैविक एवं अजैविक दबावों के विपरीत प्रतिरोधात्मक क्षमता सृजित करने के लिए महत्वपूर्ण स्रोतों का निर्माण करती हैं।
जैविक एवं अजैविक दबाव ऐसी मुख्य समस्याएं हैं जिनसे बड़े पैमाने पर उत्पादकता में कमी आती हैं। यद्यपि केले के उत्पादन संबंधी समस्याएं एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में अलग-अलग होती है फिर भी अधिकांश समस्याओं की प्रकृति एक समान होती है। समस्याओं की इस प्रकार की जटिलता को देखते हुए केले की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए मौलिक, कार्यनीतिक तथा अनुकूलन अनुसंधान की आवश्यकता हमें प्रतीत हुई है।
केले तथा प्लैंटेंस के प्रजनन में उनकी अपनी अंतर निहित समस्याएं हैं तथा अनुमानित परिणामों को प्राप्त करने के लिए वर्तमान जैव प्रौद्योगिकी उपकरण/कार्यनीतियां इस समस्या के समाधान में सहायक हो सकती है तथा इसका वास्तविक प्रभाव भविष्य में देखने को मिलेगा।
वर्ष 2050 में 60 मिलियन टन उत्पादन के लक्ष्य के साथ उर्वरक, सिंचाई, कीटनाशी प्रबंधन एवं टीआर4 जैसी बीमारियों के उपचार जैसे आदान लागतों में वृद्धि जैसी बृहत उत्पादन समस्याओं का केले के उत्पादन को बढ़ाने के लिए समाधान किए जा रहे हैं।
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