नाविका सागर परिक्रमा – तरिणी लाइटेलटन पहुंचा

 

  • संसार के परिक्रमा के लिए निकला आईएनएस तरिणी जहाज आज न्यूजीलैंड के लाइटेलटन बंदरगाह पहुंच गया है। विश्व में पहली बार महिलाओं का क्रू पूर्ण संसार की परिक्रमा के लिए निकला है। इस जहाज का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी कर रही हैं। इसके अन्य चालक दल सदस्यों ने लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल और पी. स्वाति एवं लेफ्टिनेंट एस. विजयादेवी, बी. ऐश्वर्या व पायल गुप्ता है।
  • इस जहाज ने अब तक गोवा से 7800 समुद्री मील की दूरी तय की है। 25 सितंबर,2017 को इसने भूमध्यरेखा और 9 नवंबर, 2017 को केप ल्यूविन को पार किया था।
  • देश में ही निर्मित आईएनएसवी तरिणी 45 फुट लंबा जहाज है। इसी वर्ष भारतीय नौसेना में इसको शामिल किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में इसे मेक-इन-इंडिया पहल के तौर पर दर्शाया गया है।
  • इस परिक्रमा के अभियान का नाम नाविका सागर परिक्रमा इसलिए रखा गया है, ताकि महिलाओं का सशक्तिकरण करके उनकी संपूर्ण ऊर्जा का और संभावनाओं का लाभ उठाया जा सके। इसका उद्देश्य विश्व के धरातल पर नारी शक्ति को प्रदर्शित करना भी है। सामाजिक सोच में क्रांतिकारी बदलाव और महिलाओं की ओर लोगों के नज़रिए में बदलाव लाना भी इस यात्रा का उद्देश्य है। चुनौतीपूर्ण स्थितियों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करके समाज में परिवर्तन लाना इस यात्रा का एक महती उद्देश्य है।
  • यह जहाज संसार की परिक्रमा करके अप्रैल, 2018 को वापस गोवा लौटेगा। अभियान में पांच चरणों में यह दूरी तय की जाएगी। इन चार बंदरगाहों पर इसका पड़ाव होगा- फ्रीमेंटल (ऑस्ट्रेलिया), लाइटेलटन (न्यूजीलैंड), पोर्ट स्टेनले (फॉकलैंड) और केप टाउन (दक्षिण अफ्रीका)। वर्तमान में इस जहाज ने दो चरणों की यात्रा पूरी कर ली है। इसका पहला पड़ाव अक्टूबर में फ्रीमेंटल (ऑस्ट्रेलिया) में था।
  • सभी महिला सदस्यों का यह चालक दल मौसम विज्ञान, समुद्री और लहरों का डाटा दैनिक रूप से एकत्रित कर रहा है, ताकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा भारत में मौसम की जानकारी की पूर्व सूचना सही दी जा सके।
  •  क्रू सदस्य गहरे समुद्र में प्रदूषण की निगरानी करके जानकारी इक्ट्ठा कर रहे हैं। लोगों के बीच समुद्री रोमांच की भावना को बढ़ाने के लिए क्रू सदस्य अपने पड़ाव के दौरान वहां के स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करते हैं। सदस्य दल समुद्री यात्रा और रोमांच के अनुभवों के बारे में बच्चों के साथ विशेष रूप से बातचीत करते हैं, ताकि उनमें इस भावना का संचार हो सके।

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