Ø राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) ग्यारहवी पंचवर्षीय योजना से जारी है। इस योजना में राज्यों को कृषि क्षेत्र में व्यय को प्रोत्साहित करने के लिए योजना निर्माण और कार्यान्वयन में पर्याप्त लोच और स्वायत्ता दी गई है।
Ø राज्य विकेन्द्रित योजना निर्माण के तहत कृषि जलवायु की दशाओं, प्राकृतिक संसाधनों और प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देते हुए जिला कृषि योजना (डीएपी) बनाते है जो स्थानीय आवश्यकताओं, फसल पैटर्न और प्राथमिकताओं को सुनिश्चित करती है।
Ø rashtriya krishi vikas yojana (आरकेवीवाई) में राज्य की स्वायत्तता और लोच को छेडे बिना उप स्कीमों के माध्यम से राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को जारी रखते है। राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे पूर्वी भारत में हरति क्रांति, फसल विवधीकरण योजना, मृदा सुधार योजना, मृदा सुधार योजना, फुट एंड माउथ रोग नियंत्रण प्रोग्राम, केसर मिशन, त्वरित चारा विकास कार्यक्रम, उप-स्कीम चलाए जाते है।
Ø 11वीं और 12वीं योजना में, राज्यों ने 1300 से ज्यादा प्रोजेक्ट राज्य कृषि विभागों (नोडल विभाग) द्वारा चलाए गए है। आर्थिक विकास संस्थान द्वारा की गई आर के वी वाई मूल्यांकन की अंतरिम रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि कृषि राज्य घरेलू उत्पाद (ए जी एस डी पी) के रूप में आकलित कृषि से प्राप्त आय, आर के वी वाई से पहले की अवधि की तुलना में आर के वी वाई के बाद की अवधि में अधिक रही है। इसके अलावा, लगभग सभी राज्यों ने आरकेवीवाई के बाद की अवधि में कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों से उच्च मूल्य प्राप्त किया है। इसलिए आरकेवीवाई-आरएएफटीएएआर को जारी रखने से कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के विकास की गतिशीलता बनी रहेगी।
Recent decision of Cabinet
Ø मंत्रिमंडल समिति ने केंद्रीय प्रायोजित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना आरकेवीवाई को आरकेवीवाई-रफ्तार के रूप में तीन वर्षों अर्थात् 2017-18 से 2019-20 तक जारी रखने को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
Ø इस योजना पर वित्तीय आवंटन 15,722 करोड़ रूपये का होगा, जिसका उद्देश्य किसान के प्रयासों को मजबूत बनाने, जोखिम के निवारण के माध्यम से कृषि के काम को आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद बनाने और कृषि व्यवसाय उद्यमिता को बढ़ावा देना है।