राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान rashtriya uchchatar shiksha kosh) को जारी रखने को मंजूरी

 

  1. Rashtriya uchchatar shiksha kosh सब तक पहुँच बनाने की योजना है जिसे मिशन रूप में संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य राज्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का वित्तपोषण करना है, ताकि वे समानता, सुगमता और उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें। इसके तहत स्थापित नियमों और मानकों के अनुरूप मौजूदा राज्य उच्च शिक्षा संस्थानों में सुधार को सुनिश्चित करना है।
  2. सुशासन, अकादमिक, संबद्धता और प्रत्ययन जैसे परिवर्तनशील सुधार राज्य उच्च शिक्षा संस्थानों में योजना के कार्यान्वयन के लिए अतिआवश्यक हैं।
  3. राज्यों का वित्तपोषण राज्य उच्च शिक्षा योजनाओं के महत्त्वपूर्ण समीक्षा पर आधारित है। इन योजनाओं के लिए आवश्यक है कि उच्च शिक्षा में समानता, सुगमता और उत्कृष्टता के मुद्दों को हल करने के लिए प्रत्येक राज्य की रणनीति का जायजा लिया जाए।
  4. RUSA के तहत समस्त वित्तपोषण नियम आधारित हैं और भावी अनुदान परिणामों पर निर्भर करता है।

प्रमुख प्रभाव एवं लक्ष्य:

  • Rashtriya uchchatar shiksha kosh 2020 तक देश के कुल नामांकन अनुपात को तीस प्रतिशत तक बढ़ाएगा।
  • वह राज्य सरकारों द्वारा उच्च शिक्षा में खर्च में बढ़ोत्तरी करने के लिए भी प्रयास करेगा।
  • योजना अपने दूसरे चरण में है। उसका लक्ष्य 70 नए आदर्श डिग्री कॉलेजों और 8 नए व्यावसायिक कॉलेजों की रचना करना है। इसके अतिरिक्त योजना चुने हुए 10 राज्य विश्वविद्यालयों और 70 स्वायत्तशासी कॉलेजों की गुणवत्ता और उत्कृष्टता में बढ़ोत्तरी करेगा। इस संबंध में 50 विश्वविद्यालयों और 750 कॉलेजों को संरचना समर्थन प्रदान करेगा।
  • अकादमिक सुधारों, प्रशासनिक सुधारों, संबद्धता सुधारों इत्यादि के जरिए राज्यों में उच्च शिक्षा के लिए पहुँच और समानता में सुधार करेगा।
  • सामाजिक रूप से वंचित समुदायों को उच्च शिक्षा के लिए उचित अवसर प्रदान करने के जरिए उच्च शिक्षा में समानता को सुधारेगा। इसके तहत महिलाओं, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग तथा दिव्यांगजनों के समावेश को प्रोत्साहित करेगा।
  • राज्य सरकारों के प्रयासों को समर्थन देने और उनके प्रयासों को बढ़ाने के मद्देनजर उच्च शिक्षा में मौजूदा अंतराल की पहचान करेगा और उन्हें पूरा भी करेगा।
  • बेहतर उच्च शिक्षा, शोध और नवाचार में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए राज्यों तथा संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को समर्थन देगा।

नए उपाय:-

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की दो योजनाएं ‘उत्कृष्टता के लिए क्षमतावान विश्वविद्यालय’ (यूपीई) और ‘उत्कृष्टता के लिए क्षमतावान कॉलेज’ (सीपीई) को ‘चयनित राज्य विश्वविद्यालयों में गुणवत्ता और उत्कृष्टता बढ़ाना’ और ‘स्वायत्तशासी कॉलेजों में गुणवत्ता और उत्कृष्टता बढ़ाना’ के घटकों के रूप में समायोजित कर दिया गया है। बेहतर कामकाज वाले राज्य के विश्वविद्यालयों और स्वायत्तशासी कॉलेजों में ये लक्षित उपाय शिक्षण और अनुसंधान में सुधार लाने और उनकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हैं।
  • शोध और नवाचार संबंधी घटक राज्यों में 20 शोध समुच्चयों की रचना के जरिए नवाचार, उद्यमशीलता और रोजगारपरकता को बेहतर बनाने के लिए है। ये उपाय प्रतिस्पर्धा और चुनौती के रूप में होंगे तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग/ बायोटेक्नोलॉजी विभाग और उद्योग के सहयोग से विश्वविद्यालयों में संचालित होंगे।
  • यह योजना नीति आयोग द्वारा चिह्नित आकांक्षी जिलों को प्रामिकता देगी। इन उपायों का उद्देश्य बेहतर नामांकन और अवरोधन के जरिए पहुँच और समानता में सुधार करना है।
  • राष्ट्रीय उच्च शिक्षा संसाधन केंद्र (एनएचईआरसी) की रचना का उद्देश्य शोध, नीति समर्थन, क्षमता निर्माण तथा संपूर्ण जानकारी वाली नीति एवं प्रमाण आधारित शोध प्रदान करना है।
  • संस्था का सुधार एवं पुन:निर्माण और प्रबंधन सूचना प्रणालियों के घटकों को एक अकेले घटक ‘संस्थागत पुन:निर्माण, क्षमता निर्माण और सुधार’ में मिला दिया गया है।
  • राज्य उच्च शिक्षा क्षेत्र को अधिक संसाधन प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए आरयूएसए 2.0 राज्यों और संस्थानों को प्रोत्साहित करेगा कि वे व्यावहारिक वित्तपोषण अंतराल के मद्देनजर सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर परियोजनाएं शुरू करें। इन राज्यों को क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाने के मार्ग में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए सुविधा प्रणालियां उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • संरचना और उपकरण (इंवेंट्री) के लिए ऑनलाइन वर्चुअल प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा ताकि संस्थान इन संसाधनों को साझा कर सके।
  • आरयूएसए निगरानी और मूल्यांकन के लिए मौजूदा प्रणालियों को बढ़ाएगा। इसके लिए निधियों की निगरानी, सुधार निगरानी, भूवन-आरयूएसए और पीफएमएस जैसे नए तरीके अपनाएगा, ताकि समय पर परियोजनाएं पूरी की जा सकें।

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