निजी कंपनियों के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कार्यस्थ ल पर महिलाओं का यौन उत्पीअड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 के अनुपालन का ब्यौारा देना अनिवार्य बनाया गया

Background

महिला और बाल विकास मंत्रालय ने निजी क्षेत्र की महिलाओं की कार्यस्‍थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कंपनी मामलों के मंत्री से अनुरोध किया था कि वे सभी कंपनियों के निदेशकों की रिपोर्ट में कार्यस्‍थल पर महिलाओं का यौन उत्‍पीड़न, (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अनुपालन का ब्‍यौरा दिया जाना अनिवार्य बनाए। इस अनुरोध पर कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 31जुलाई 2018 को कंपनी (लेखा) कानून के नियमों में संशोधन संबंधी अधिसूचना जारी की। इसके द्वारा कंपनी कानून में एक अतिरि‍क्‍त धारा (X) जोड़ी गई, जिसके निम्‍नलि‍खित व्‍यवस्‍थाएं की गई हैं।

  • X. ‘कंपनी की ओर से यह बयान जारी किया जाए कि उसने कार्यस्‍थल पर महिलाओं का यौन उत्‍पीड़न(रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत आंतरिक सुनवाई शिकायत समिति के गठन का अनुपालन किया है।
  • कंपनी कानून 2013 के अनुच्‍छेद 134 की व्‍यवस्‍थाओं के अनुसार सभी कंपनियों के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह ब्‍यौरा देना अनिवार्य बनाया गया है कि उन्‍होंने कार्यस्‍थल पर महिलाओं का यौन उत्‍पीड़न, (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 का अपने यहां अनुपालन किया है।
  • महिला और बाल विकास मंत्रालय इस कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसके लिए कानून के तहत बनाए गए विस्‍तृत नियम जारी किये जा चुके हैं। सभी केन्‍द्रीय मंत्रालयों, विभागों तथा उनके तहतकाम करने वाले संगठनों के लिए इन नियमों के तहत अपने यहां आंतरिक शिकायत सुनवाई समिति का गठन करना अनिवार्य बनाया गया है। मंत्रालय ने इसके अलावा पीड़ित महिलाओं को सीधे अपनी शिकायत भेजने के लिए शी बॉक्‍स नाम की एक सुविधा भी उपलब्‍ध कराई है।

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