आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने संगठित क्षेत्र में कताई और बुनाई को छोड़कर कपड़ा क्षेत्र की समूची मूल्य श्रृंखला को शामिल करते हुए एक नई कौशल विकास योजना को मंजूरी दी है। इसे‘)कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना (एससीबीटीएस’ नाम दिया गया है। इस योजना को 1300 करोड़ रुपये के लागत-खर्च के साथ 2017-18 से लेकर 2019-20 तक की अवधि के लिए स्वीकार किया गया है। इस योजना में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सामान्य मानकों के आधार पर राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के अनुरूप प्रशिक्षण पाठ्यक्रम होंगे।
योजना का उद्देश्य संगठित कपड़ा क्षेत्र और उससे जुड़े क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने के संबंध में उद्योग के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए मांग आधारित, प्लेसमेंट संबंधी कौशल कार्यक्रम, कपड़ा मंत्रालय के संबंधित संगठनों के माध्यम से कौशल विकास और कौशल उन्नयन को प्रोत्साहन देना तथा देशभर के हर वर्ग को आजीविका प्रदान करना है।
कौशल कार्यक्रम का क्रियान्वयन इस प्रकार किया जाएगा-
श्रम शक्ति की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए कपड़ा उद्योग/इकाई द्वारा,
कपड़ा उद्योग/इकाईयों के साथ रोजगार समझौते के तहत प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थान द्वारा, और
कपड़ा उद्योग/इकाईयों के साथ रोजगार समझौते के संबंध में कपड़ा मंत्रालय/राज्य सरकारों के संस्थानों द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
योजना के तहत निम्नलिखित रणनीति अपनाई जाएगी-
संबंधित कार्य को ध्यान में रखते हुए कौशल लक्ष्य के विभिन्न स्तरों यानी प्रवेश स्तर के पाठ्यक्रम, कौशल उन्नयन, निरीक्षण, प्रबंधन प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए उन्नत पाठ्यक्रम सहित कौशल विकास, प्रशिक्षण, उद्यमशीलता विकास के आधार पर रणनीति अपनाई जाएगी।
उद्योग के साथ सलाह करके समय-समय पर कौशल की आवश्यकताओं का मूल्यांकन किया जाएगा।
कार्यक्रम के क्रियान्वयन के हर पक्ष के संचालन के लिए वेब आधारित निगरानी की जाएगी।
हथकरघा, हस्तशिल्प, पटसन, रेशम इत्यादि जैसे परम्परागत क्षेत्रों की कौशल संबंधी जरूरतों पर संबंधित क्षेत्रीय उपखंडों/संगठनों के जरिए विशेष परियोजनाओं के स्वरूप पर विचार किया जाएगा। इसके अलावा ‘मुद्रा’ ऋणों के प्रावधानों के जरिए उद्यमशीलता के विकास के संबंध में कौशल उन्नयन को समर्थन दिया जाएगा।
नतीजों की पड़ताल के लिए सफल प्रशिक्षुओं का मूल्यांकन किया जाएगा। मान्यता प्राप्त मूल्यांकन एजेंसी द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।
प्रमाणित प्रशिक्षुओं में से कम से कम 70 प्रतिशत प्रशिक्षुओं को दिहाड़ी रोजगार वर्ग में रखा जाएगा। योजना के तहत रोजगार मिलने के पश्चात उन पर अनिवार्य रूप से नजर रखी जाएगी।
इस क्षेत्र में प्रशिक्षण के बाद महिलाओं के रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सभी भागीदार संस्थानों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निर्वारण) अधिनियम, 2013 के तहत आंतरिक शिकायत समिति का गठन करने संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे, तभी वे इस योजना के तहत वित्तपोषण के पात्र होंगे।
यह योजना देशभर में समाज के सभी वर्गों के लाभ के लिए लागू की जाएगी, जिसमें ग्रामीण, दूर-दराज के इलाके, वामपंथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र, पूर्वोत्तर तथा जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगों, अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर वर्गों को वरीयता दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि 12वीं योजना के दौरान कपड़ा मंत्रालय के द्वारा क्रियान्वित कौशल विकास की तत्कालीन योजना के तहत 10 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। इनमें से 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं थी। इस योजना के तहत परिधान उद्योग एक प्रमुख क्षेत्र है, जिसके बारे में माना जाता है कि उसमें लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को रोजगार मिलता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए योजना में इसे शामिल किया गया है।
आशा कि जाती है कि योजना के जरिए कपड़ा क्षेत्र से संबंधित विभिन्न वर्गों में 10 लाख लोगों का कौशल विकास होगा और उन्हें प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। इनमें से एक लाख लोग परम्परागत क्षेत्रों में होंगे।
पृष्ठभूमि
कपड़ा मंत्रालय ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंतिम दो वर्षो के दौरान पायलट योजना के रूप में एकीकृत कौशल विकास योजना को शुरू किया था। इसका लागत-खर्च 272 करोड़ रुपये थी, जिसमें 229 करोड़ रुपये सरकार का अंशदान था। इसके तहत 2.56 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था। इस योजना को 15 लाख लोगों को प्रशिक्षण देने के लिए 1900 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जारी रखा गया था। उल्लेखनीय है कि एकीकृत कौशल विकास योजना, उद्योग संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कपड़ा उद्योग में कुशल श्रम शक्ति की बड़ी कमी को पूरा करती है। योजना का क्रियान्वयन तीन घटकों के माध्यम से किया गया है। इसमें निजी-सार्वजनिक भागीदारी प्रणाली पर विशेष जोर दिया गया है। इसके तहत मांग आधारित कुशल विकास इको-प्रणाली को स्थापित करने में उद्योग के साथ भागीदारी विकसित की गई है। योजना के तहत अब तक 10.84 लाख लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है इनमें 10.12 लाख लोगों का आकलन किया गया है और 8.05 लाख लोगों का प्लेसमेंट हुआ है। योजना को मुख्यतः कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सामान्य मानदंडों के अनुरूप तैयार किया गया है