देश में विनिर्मित दवाओं, चाहे वे ब्रांडेड हों या जेनरिक, को औषधि एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम, 1940 तथा उसके बाद उनकी गुणवत्ता के तहत बनाए गए नियमों में अनुशंसित समान मानदंडों का ही अनुसरण करना पड़ता है। केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीयू) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में जेनरिक औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न नियामकीय कदम उठाए हैं। इनके विवरण निम्नलिखित हैं –
- मिलावटी एवं अपमिश्रित औषधियों के विनिर्माण के लिए सख्त दंड देने के लिए औषधि एवं कॉस्मेटिक्स (संशोधन) अधिनियम, 2008 के तहत औषधि एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम, 1940 में संशोधन किया गया है। कुछ अपराधों को संघीय तथा गैर-जमानती भी बना दिया गया है।
- त्वरित निपटाने के लिए औषधि एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों के गठन का राज्यों/संघ शासित प्रदेशों से आग्रह किया गया है। अभी तक 22 राज्यों ने पहले ही निर्दिष्ट विशेष न्यायालयों की स्थापना कर दी है।
- औषधि एवं कॉस्मेटिक्स (संशोधन) अधिनियम, 2008 के तहत बढ़े हुए दंडों की रोशनी में मिलावटी या गैर-मानक गुणवत्ता वाली दवाओं के नमूनों पर कार्रवाई करने के लिए दिशा-निर्देशों को राज्य औषधि नियंत्रकों को अग्रेषित किया गया, जिससे कि उनका समान कार्यान्वयन हो सके।
- केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) में अनुमोदित पदों की संख्या 2008 के 111 से बढ़कर 2018 में 510 हो गई है।
- सीडीएससीओ के तहत केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं की परीक्षण क्षमताओं को लगातार मजबूत बनाया जा रहा है, जिससे कि देश में औषधि नमूनों के परीक्षण में तेजी लाई जा सके।